mujhe shikwa nahin

मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे
मगर अल्लाह मेरे दिल में अपनी याद रहने दे

क़फ़स में क़ैद रख या क़ैद से आज़ाद रहने दे
बहर-सूरत चमन ही में मुझे सय्याद रहने दे

मिरे नाशाद रहने से अगर तुझ को मसर्रत है
तो मैं नाशाद ही अच्छा मुझे नाशाद रहने दे

तिरी शान-ए-तग़ाफ़ुल पर मिरी बर्बादियाँ सदक़े
जो बर्बाद-ए-तमन्ना हो उसे बर्बाद रहने दे

तुझे जितने सितम आते हैं मुझ पर ख़त्म कर देना
न कोई ज़ुल्म रह जाए न अब बे-दाद रहने दे

न सहरा में बहलता है न कू-ए-यार में ठहरे
कहीं तो चैन से मुझ को दिल-ए-नाशाद रहने दे

कुछ अपनी गुज़री ही ‘बेदम’ भली मालूम होती है
मिरी बीती सुना दे क़िस्सा-ए-फ़रहाद रहने दे

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dil liya jaan li nahin jati

दिल लिया जान ली नहीं जाती
आप की दिल-लगी नहीं जाती

सब ने ग़ुर्बत में मुझ को छोड़ दिया
इक मिरी बेकसी नहीं जाती

किए कह दूँ कि ग़ैर से मिलिए
अन-कही तो कही नहीं जाती

ख़ुद कहानी फ़िराक़ की छेड़ी
ख़ुद कहा बस सुनी नहीं जाती

ख़ुश्क दिखलाती है ज़बाँ तलवार
क्यूँ मिरा ख़ून पी नहीं जाती

लाखों अरमान देने वालों से
एक तस्कीन दी नहीं जाती

जान जाती है मेरी जाने दो
बात तो आप की नहीं जाती

तुम कहोगे जो रोऊँ फ़ुर्क़त में
कि मुसीबत सही नहीं जाती

उस के होते ख़ुदी से पाक हूँ मैं
ख़ूब है बे-ख़ुदी नहीं जाती

पी थी ‘बेदम’ अज़ल में कैसी शराब
आज तक बे-ख़ुदी नहीं जाती

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Bu Ali Shah Qalandar Quotes

रवम दर बुत-कदा शैनम ब-पेश-ए-बुत कुनम सज्द:
अगर याबम ख़रीदारे फ़रोशम दीन-ओ-ईमाँ रा

फ़्रोज़म आतिशे दर दिल ब-सोज़म क़िब्लः-ए-आलम
पस आँगह क़िब्ल: साज़म मन ख़म-ए-अबरू-ए-ख़ूबाँ रा

सरम पेचाँ दिलम पेचाँ मनम पेचीद:-ए-जानाँ
‘शरफ़’ चूँ मार मी पेचद चे बीनी मार-ए-पेचाँ रा

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Kalam Bu Ali Shah Qalandar

मनम मेहर-ए-जमाल-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम
शुदम ग़र्क़-ए-विसाल-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम

ग़ुलाम-ए-रु-ए-ऊ बूदम असीर-ए-मू-ए-ऊ बूदम
गु़बार-ए-कू-ए-ऊ बूदम नमी दानम कुजा रफ़्तम

बा-आँ मह-आश्ना गश्तम ज़े-जान-ओ-दिल फ़िदा गश्तम
फ़ना गश्तम फ़ना गश्तम नमी दानम कुजा रफ़्तम

शुदम चूँ मुब्तला-ए-ऊ निहादम सर ब-पा-ए-ऊ
शुदम मेहर-ए-लक़ा-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम

‘क़लन्दर’-बू-अली हस्तम ब-नाम-ए-दोस्त सर-मस्तम
दिल अंदर इश्क़-ए-ऊ बस्तम नमी दानम कुजा रफ़्तम

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Sufism Kalam Bu Ali Shah

ग़ैरत अज़ चश्म बुरम रु-ए-तू दीदन न-देहम
गोश रा नीज़ हदीस-ए-तू शनीदन न-देहम

हदिय:-ए-ज़ुल्फ़-ए-तू गर मुल्क-ए-दो-आ’लम ब-देहन्द
या’लमुल्लाह सर-ए-मूए ख़रीदन न-देहम

गर बयाद मलक-उल-मौत कि जानम ब-बरद
ता न-बीनम रुख़-ए-तू रूह रमीदन न-देहम

गर शबे दस्त देहद वस्ल-ए-तू अज़ ग़ायत-ए-शौक़
ता-क़यामत न शवद सुब्ह दमीदन न-देहम

गर ब-दाम-ए-दिल-ए-मन उफ़्तद आँ अन्क़ा बाज़
गरचे सद हमल: कुनद बाज़ परीदन न-देहम

‘शरफ़’ अर बाद वज़द बोए ज़े-ज़ुल्फ़श ब-बरद
बाद रा नीज़ दरीं दहन वज़ीदन न-देहम

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Bu Ali Shah Sufism Kalam

ज़हे-हुसने कि रू-ए-यार दारद
कि दर आग़ोश सद गुलज़ार दारद

सर-ए-ज़ुल्फ़श कि मस्त-ओ-ला-उबाली
कमीँ-गाह-ए-दिल-ए-हुश्यार दारद

बसे मर्दां ज़े-कार उफ़्तादः बीनी
बदाँ चश्मे कि ऊ बीमार दारद

हर आँ सत्रे के बर रूयश नविश्तन्द
हज़ाराँ मानी-ओ-असरार दारद

दिलम दर याद-ए-मिज़्गानत चुनाँ अस्त
कि मी-ख़्वाहद सरे बर दार दारद

‘शरफ़’ दर इश्क़-ए-ऊ गश्त आँ ‘क़लन्दर’
कि हफ़्ताद-ओ-दो-मिल्लत यार दारद

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Bu Ali Shah Qalandar Sufism Kalam

मनम मेहर-ए-जमाल-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम
शुदम ग़र्क़-ए-विसाल-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम

ग़ुलाम-ए-रु-ए-ऊ बूदम असीर-ए-मू-ए-ऊ बूदम
गु़बार-ए-कू-ए-ऊ बूदम नमी दानम कुजा रफ़्तम

बा-आँ मह-आश्ना गश्तम ज़े-जान-ओ-दिल फ़िदा गश्तम
फ़ना गश्तम फ़ना गश्तम नमी दानम कुजा रफ़्तम

शुदम चूँ मुब्तला-ए-ऊ निहादम सर ब-पा-ए-ऊ
शुदम मेहर-ए-लक़ा-ए-ऊ नमी दानम कुजा रफ़्तम

‘क़लन्दर’-बू-अली हस्तम ब-नाम-ए-दोस्त सर-मस्तम
दिल अंदर इश्क़-ए-ऊ बस्तम नमी दानम कुजा रफ़्तम

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Bu Ali Shah Qalandar Kalam

अगरचे मोमिनम या बुत-परस्तम
क़ुबूलम कुन निगारा हर-चे हस्तम

यके काफ़िर दो-सद बुत मी-परस्तद
मनम मिस्कीं यके रा मी-परस्तम

बुते दारम दरून-ए-सीन:-ए-ख़्वेश
ब-रोज़-ओ-शब मन आँ बुत रा परस्तम

मरा गोयन्द चरा बुत मी-परस्ती
चू यारम बुत बूवद मन मी-परस्तम

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Bulleh Shah Quotes

पत्तियां लिखूंगी मैं शाम नूं, पिया मैनूं नज़र ना आवे ।
आंगन बना ड्राउणा, कित बिध रैन वेहावे ।

कागज़ करूं लिख दामने, नैन आंसू लाऊं ।
बिरहों जारी हौं जारी, दिल फूक जलाऊं ।

पांधे पंडत जगत के, पुच्छ रहियां सारे ।
बेद पोथी क्या दोस है, उलटे भाग हमारे ।
नींद गई किते देस नूं, उह भी वैरन हमारे ।

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Kalam Bulleh Shah

रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।
सद्दो नी मैनूं धीदो रांझा, हीर ना आखो कोई ।

रांझा मैं विच्च मैं रांझे विच्च, होर ख़्याल ना कोई ।
मैं नहीं उह आप है, आपनी आप करे दिलजोई ।
रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।

हत्थ खूंडी मेरे अग्गे मंगू, मोढे भूरा लोई ।
बुल्ल्हा हीर सलेटी वेखो, कित्थे जा खलोई ।

रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।
सद्दो नी मैनूं धीदो रांझा, हीर ना आखो कोई ।

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