ग़ज़ल क्या है
ग़ज़ल शेरों से बनती हैं। हर शेर में दो पंक्तियां होती हैं। शेर की हर पंक्ति को मिसरा कहते हैं। ग़ज़ल की ख़ास बात यह हैं कि उसका प्रत्येक शेर अपने आप में एक संपूर्ण कविता होता हैं और उसका संबंध ग़ज़ल में आने वाले अगले पिछले अथवा अन्य शेरों से हो, यह ज़रूरी नहीं हैं।
कोई उम्मीद बर नहीं आती।
कोई सूरत नज़र नहीं आती। ।
मौत का एक दिन मुअय्यन हैं।
नींद क्यूं रात भर नहीं आती। ।
लेकिन जैसे जैसे समय बीता ग़ज़ल का लेखन पटल बदला, विस्तृत हुआ और अब तो ज़िंदगी का ऐसा कोई पहलू नहीं हैं जिस पर ग़ज़ल न लिखी गई हो।
सिगरेट जला के मैं जो ज़रा मुत्मइन हुआ।
चारों तरफ से उसको बुझाने चली हवा। ।
– मिद्हतुल अख़्तर