Quotes in Hindi

” अपना राज किसी के सामने
तब तक प्रकट ना करो
जब तक तुम्हारा लक्ष्य
पूर्ण ना हो जाए। “

” अहंकार में डूबे इंसान को ,
ना तो खुद की गलतियां
दिखाई देती है और
ना दूसरों की अच्छी बात। “

” ठोकर लगने का मतलब यह नहीं ,
कि आप चलना छोड़ दें।
बल्कि ठोकर लगने का मतलब
यह होता है कि आप संभल जाएं। “

” बुद्धिमान और मूर्ख में एक छोटा सा अंतर है ,
बुद्धिमान कार्य पूर्ण होने से पहले
नहीं बोलते वह सोचते है
मूर्ख कार्य पूर्ण होने से पहले बोलते हैं सोचते नहीं। “

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Hindi Quotes

अगर आपको कुछ बड़ा करना है,
तो बड़े लोगो की तरह सोचो।

जो पढ़ाई आज आपको दर्द लग
रही है; अगर इस दर्द को झेलते
रहो; तो कल ये दर्द आपकी सबसे
बड़ी ताकत बन जाएगा..

जो. व्यक्ति खुद को control
कर सकता है वो जिंदगी में कुछ
भी कर सकता है।

सिंह बनो सिंहासन की चिंता मत
करो आप जहां बैठोगे सिंहासन
वही बन जाएगा

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Motivational Quotes Hindi

आंखों, में नींद बहुत है पर सोना नहीं है,
यही समय है कुछ करने का इसे खोना नहीं है।

—#2—
अगर मेहनत आदत बन जाए
तो कामयाबी ‘मुकद्दर’ बन जाती है।

—#3—
मंजिलें भी जिद्दी हैं .
रास्ते भी जिद्दी हैं,
देखते है कल क्या होगा,
हौसले भी तो जिद्दी हैं ।

—#4—
आज रांस्ता बना लिया है,
तो कल मंजिल भी मिल जाएगी ॥
हौसलों से भरी यह कोशिश एक दिन
जरूर रंग लाएगी !!

—#5—
उड़ान तो भरना है।
चाहे कई बार गिरना पड़े
सपनों को पूरा करना है
चाहे खुद से भी लड़ना पड़े

—#6—
मेहनत अगर आदत बन जाए,
तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती है !

—#7—
कमियां भले ही हजारों हो तुममें लेकिन
खुद पर विश्वास रखो कि तुम सबसे
बेहतर करने का हुनर रखते हो।
—#8—

बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता
दोस्तों कुदरत चिड़िया को खाना
जरूर देता है, लेकिन घोसले में नहीं।

💪👉✍️👍🤘

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motivation hindi quotes

1 – “जो किसी के Fan है उनका कभी कोई Fan नहीं बनता ”

2- “जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है ”

3- “सही करने की हिम्मत उसी में आती है जो गलती करने से नहीं डरते है ”

4- “अगर सूरज के तरह जलना है तो रोज उगना पड़ेगा ”

5- “कभी कभी सफर ज्यादा खूबशूरत होती है, मंजिल से ”

6- “ज़िंदा वही है जिसके हौशलों के तरकस में कोशिशों की तीर बची है ”

7- “यदि मनुष्य कुछ सीखना चाहे, तो उसकी प्रत्येक भूल कुछ न कुछ सीखा देती है “

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Hai Dil ko is Tarah se mire yaar ki talash

है दिल को इस तरह से मिरे यार की तलाश
जिस तरह थी कलीम को दीदार की तलाश

हों रिंद सर खुला भी जो होवे तो डर नहीं
ज़ाहिद नहीं कि मुझ को हो दस्तार की तलाश

मैं हूँ कहीं प आठों पहर है उसी की फ़िक्र
जाती नहीं है दिल से मिरे यार की तलाश

दिल हाथों-हाथ बिक गया बाज़ार-ए-इश्क़ में
करनी पड़ी न मुझ को ख़रीदार की तलाश

अपने ही दिल में ढूँढना लाज़िम था यार को
इतने दिनों जो की भी तो बे-कार की तलाश

बैआना नक़्द-ए-जाँ करो ‘सय्याह’ पेश-कश
रहती है उन को ऐसे ख़रीदार की तलाश

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lipat lipat ke main us gul ke sath

लिपट लिपट के मैं उस गुल के साथ सोता था
रक़ीब सुब्ह को मुँह आँसुओं से धोता था

तमाम रात थी और कुहनीयाँ ओ लातें थीं
न सोने देता था मुझ को न आप सोता था

जो बात हिज्र की आती तो अपने दामन से
वो आँसू पोंछता जाता था और मैं रोता था

मसक्ती चोली तो लोगों से छुप के सीने को
वो तागे बटता था और मैं सूई पिरोता था

ग़रज़ दिखाने को आन ओ अदा के सौ आलम
वो मुझ से पाँव धुलाता था और मैं धोता था

लिटा के सीने पे चंचल को प्यार से हर-दम
मैं गुदगुदाता था हँस हँस वो ज़ोफ़ खोता था

वो मुझ पे फेंकता पानी की कुल्लियाँ भर भर
मैं उस के छींटों से तो पैरहन भिगोता था

नहाने जाते तो फिर आह करती छींटों से
वो ग़ोते देता था और मैं उसे डुबोता था

हुआ न मुझ को ख़ुमार आख़िर उन शराबों का
‘नज़ीर’ आह इसी रोज़ को मैं रोता था

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uske chehre ki chamak ke samne

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

जिस घड़ी आया पलट कर इक मिरा बिछड़ा हुआ
आम से कपड़ों में था वो फिर भी शहज़ादा लगा

हर घड़ी तय्यार है दिल जान देने के लिए
उस ने पूछा भी नहीं ये फिर भी आमादा लगा

कारवाँ है या सराब-ए-ज़िंदगी है क्या है ये
एक मंज़िल का निशाँ इक और ही जादा लगा

रौशनी ऐसी अजब थी रंग-भूमी की ‘नसीम’
हो गए किरदार मुदग़म कृष्ण भी राधा लगा

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thokre kha ke sabhalna nhi ata

ठोकरें खा के सँभलना नहीं आता है मुझे
चल मिरे साथ कि चलना नहीं आता है मुझे

अपनी आँखों से बहा दे कोई मेरे आँसू
अपनी आँखों से निकलना नहीं आता है मुझे

अब तिरी गर्मी-ए-आग़ोश ही तदबीर करे
मोम हो कर भी पिघलना नहीं आता है मुझे

शाम कर देता है अक्सर कोई ज़ुल्फ़ों वाला
वर्ना वो दिन हूँ कि ढलना नहीं आता है मुझे

कितने दिल तोड़ चुका हूँ इसी बे-हुनरी से
जाल में फँस के निकलना नहीं आता है मुझे

बीच दरिया के मैं दरिया तो बदल सकता हूँ
अपनी कश्ती को बदलना नहीं आता है मुझे

अपने मा’नी को बदलना तो मुझे आता है
इन के लफ़्ज़ों को बदलना नहीं आता है मुझे

‘फ़रहत-एहसास’ तरक़्क़ी नहीं करनी मुझ को
इतनी रफ़्तार से चलना नहीं आता है मुझे

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tumhe us se mohabbat hai

तुम्हें उस से मोहब्बत है तो हिम्मत क्यूँ नहीं करते
किसी दिन उस के दर पे रक़्स-ए-वहशत क्यूँ नहीं करते

इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते

तुम्हारे दिल पे अपना नाम लिक्खा हम ने देखा है
हमारी चीज़ फिर हम को इनायत क्यूँ नहीं करते

मिरी दिल की तबाही की शिकायत पर कहा उस ने
तुम अपने घर की चीज़ों की हिफ़ाज़त क्यूँ नहीं करते

बदन बैठा है कब से कासा-ए-उम्मीद की सूरत
सो दे कर वस्ल की ख़ैरात रुख़्सत क्यूँ नहीं करते

क़यामत देखने के शौक़ में हम मर मिटे तुम पर
क़यामत करने वालो अब क़यामत क्यूँ नहीं करते

मैं अपने साथ जज़्बों की जमाअत ले के आया हूँ
जब इतने मुक़तदी हैं तो इमामत क्यूँ नहीं करते

तुम अपने होंठ आईने में देखो और फिर सोचो
कि हम सिर्फ़ एक बोसे पर क़नाअ’त क्यूँ नहीं करते

बहुत नाराज़ है वो और उसे हम से शिकायत है
कि इस नाराज़गी की भी शिकायत क्यूँ नहीं करते

कभी अल्लाह-मियाँ पूछेंगे तब उन को बताएँगे
किसी को क्यूँ बताएँ हम इबादत क्यूँ नहीं करते

मुरत्तब कर लिया है कुल्लियात-ए-ज़ख़्म अगर अपना
तो फिर ‘एहसास-जी’ इस की इशाअ’त क्यूँ नहीं करते

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aakho se mohabbat ke eshare nikal aaye

आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए

था तुझ से बिछड़ जाने का एहसास मगर अब
जीने के लिए और सहारे निकल आए

मैं ने तो यूँही ज़िक्र-ए-वफ़ा छेड़ दिया था
बे-साख़्ता क्यूँ अश्क तुम्हारे निकल आए

जब मैं ने सफ़ीने में तिरा नाम लिया है
तूफ़ान की बाहोँ से किनारे निकल आए

हम जाँ तो बचा लाते मगर अपना मुक़द्दर
इस भीड़ में कुछ दोस्त हमारे निकल आए

जुगनू इन्हें समझा था मगर क्या कहूँ ‘मंसूर’
मुट्ठी को जो खोला तो शरारे निकल आए

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