Hai Dil ko is Tarah se mire yaar ki talash

है दिल को इस तरह से मिरे यार की तलाश
जिस तरह थी कलीम को दीदार की तलाश

हों रिंद सर खुला भी जो होवे तो डर नहीं
ज़ाहिद नहीं कि मुझ को हो दस्तार की तलाश

मैं हूँ कहीं प आठों पहर है उसी की फ़िक्र
जाती नहीं है दिल से मिरे यार की तलाश

दिल हाथों-हाथ बिक गया बाज़ार-ए-इश्क़ में
करनी पड़ी न मुझ को ख़रीदार की तलाश

अपने ही दिल में ढूँढना लाज़िम था यार को
इतने दिनों जो की भी तो बे-कार की तलाश

बैआना नक़्द-ए-जाँ करो ‘सय्याह’ पेश-कश
रहती है उन को ऐसे ख़रीदार की तलाश