अगरचे मोमिनम या बुत-परस्तम
क़ुबूलम कुन निगारा हर-चे हस्तम
यके काफ़िर दो-सद बुत मी-परस्तद
मनम मिस्कीं यके रा मी-परस्तम
बुते दारम दरून-ए-सीन:-ए-ख़्वेश
ब-रोज़-ओ-शब मन आँ बुत रा परस्तम
मरा गोयन्द चरा बुत मी-परस्ती
चू यारम बुत बूवद मन मी-परस्तम
अगरचे मोमिनम या बुत-परस्तम
क़ुबूलम कुन निगारा हर-चे हस्तम
यके काफ़िर दो-सद बुत मी-परस्तद
मनम मिस्कीं यके रा मी-परस्तम
बुते दारम दरून-ए-सीन:-ए-ख़्वेश
ब-रोज़-ओ-शब मन आँ बुत रा परस्तम
मरा गोयन्द चरा बुत मी-परस्ती
चू यारम बुत बूवद मन मी-परस्तम
रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।
सद्दो नी मैनूं धीदो रांझा, हीर ना आखो कोई ।
रांझा मैं विच्च मैं रांझे विच्च, होर ख़्याल ना कोई ।
मैं नहीं उह आप है, आपनी आप करे दिलजोई ।
रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।
हत्थ खूंडी मेरे अग्गे मंगू, मोढे भूरा लोई ।
बुल्ल्हा हीर सलेटी वेखो, कित्थे जा खलोई ।
रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई ।
सद्दो नी मैनूं धीदो रांझा, हीर ना आखो कोई ।
कह बुल्ल्हा हुन प्रेम कहाणी, जिस तन लागे सो तन जाणे,
अन्दर झिड़कां बाहर ताअने, नेहुं ला इह सुक्ख पाइआ ए ।
मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।
नैणां कार रोवन दी पकड़ी, इक मरना दो जग्ग दी फकड़ी,
ब्रेहों जिन्द अवल्ली जकड़ी, नी मैं रो रो हाल वंजाइआ ए ।
मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।
मैं प्याला तहकीक लीता ए जो भर के मनसूर पीता ए,
दीदार मिअराज पिया लीता ए मैं खूह थीं वुज़ू सजाया ए ।
मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।
इश्क मुल्लां ने बांग दिवाई, शहु आवन दी गल्ल सुणाई,
कर नीयत सजदे वल्ल धाई, नी मैं मूंह महराब लगाया ए ।
मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।
बुल्ल्हा शहु घर लपट लगाईं, रसते में सभ बण तण जाईं,
मैं वेखां आ इनायत साईं, इस मैनूं शहु मिलाइआ ए ।
मेरे माही क्युं चिर लाइआ ए ।
परदा किस तों राखीदा ।
क्युं ओहले बह बह झाकी दा ।
पहलों आपे साजन साजे दा, हुन दस्सना एं सबक नमाजे दा,
हुन आया आप नज़ारे नूं, विच लैला बण बण झाकी दा ।
परदा किस तों राखीदा ।
शाह शम्मस दी खल्ल लुहाययो, मनसूर नूं सूली दवायओ,
ज़करीए सिर कलवत्तर धराययो, की लेखा रहआ बाकी दा ।
परदा किस तों राखीदा ।
कुन्न केहा फअकून कहाइआ, बे-चूनी दा चून बणाइआ,
खातर तेरी जगत बणाइआ, सिर पर छतर लौलाकी दा ।
परदा किस तों राखीदा ।
हुन साडे वल धाइआ ए ना रहन्दा छुपा छुपाइआ ए,
किते बुल्ल्हा नाम धराइआ ए विच ओहला रक्ख्या ख़ाकी दा ।
परदा किस तों राखीदा ।
क्युं ओहले बह बह झाकी दा ।
दूर दूर असाथों ग्युं, अजला (अरशां) ते आ के बह रहउं,
की कसर कसूर विसारिआ, सानूं आ मिल यार प्यारिआ ।
मेरा इक अनोखा यार है, मेरा ओसे नाल प्यार है,
किवें समझें वड परवाइआ, सानूं आ मिल यार प्यारिआ ।
जदों आपनी आपनी पै गई, धी मां नूं लुट्ट के लै गई,
मूंह बाहरवीं सदी पसारिआ, सानूं आ मिल यार प्यारिआ ।
दर खुल्ल्हा हशर अज़ाब दा, बुरा हाल होया पंजाब दा,
डर हावीए दोज़ख मारिआ, सानूं आ मिल यार प्यारिआ ।
बुल्ल्हा शहु मेरे घर आवसी, मेरी बलदी भा बुझावसी,
इनायत दमदम नाल चितारिआ, सानूं आ मिल यार प्यारिआ ।
पिया पिया करते हमीं पिया हुए, अब पिया किस नूं कहीए ।
हजर वसल हम दोनों छोड़े, अब किस के हो रहीए ।
पिया पिया करते हमीं पिया हुए ।
मजनूं लाल दीवाने वांङू, अब लैला हो रहीए ।
पिया पिया करते हमीं पिया हुए ।
बुल्ल्हा शहु घर मेरे आए, अब क्युं ताअने सहीए ।
पिया पिया करते हमीं पिया हुए ।
बया बया कि तुई जान-ए- जान-ए- जान-ए- समा’
बया कि सर्वे रवानी बबोस्तान-ए- समा’
समा’ बंदए वक़्त-ए- तू बाशद ऐ मेहतर
ज़े वजद-ए- ख़्वेश दर आई तू दर्मेयान-ए- समा’
बरूँ ज़े हर दो जहां आ चू दर समा’ आई
बरूँ ज़े हर दो जहां अस्त ईँ जहान-ए- समा’
बया कि रौनक़-ए- बाज़ार-ए- इश्क़ अज़ लब-ए- तुस्त
के शाहिदीस्त निहानी दर ईँ दुकान-ए- समा’
बया कि सुरत-ए- इश्क़स्त शम्स-ए- तबरेज़ी
कि बाज़ मांद ज़े इश्क़श लब-ओ- देहान-ए- समा’
मा ख़ाज़िन-ए- ख़ज़ान:-ए- असरार बुद: ऐम
मा साल्हा मुसाहिब-ए- दिलदार बुद: ऐम
मा रख़त-ए- ख़ुद ज़ आ’लम-ए- हस्ती कशीद: ऐम
दर कुए यार बे ग़म-ए- अग़यार बुद: ऐम
आदम हनूज़ दर अ’दम आबाद बुद कि मा
मस्त-ओ- ख़राब-ए- नर्गिस-ए- आँ यार बुद: ऐम
दर गुलशन-ए- विसाल बचन्दीँ हज़ार साल
पेश अज़ दो कौन ताएर-ए- तैय्यार बुद: ऐम
अज़ जाम-ए- इश्क़ बाद:-ए- वहदत कशीद: ऐम
फ़ारिग़ ज़े साक़ी-ओ- मय-ओ- ख़म्मार बुद: ऐम
आरज़ू दारम कि मेहमानत कुनम
जान-ओ- दिल ऐ दोस्त क़ुर्बानत कुनम
हीं क़िराअत कम कुन व ख़ामोश बाश
ता बख़्वानम ऐ’न क़ुरआनत कुनम
गर तू तर्क-ए- सर कुनी मरदान: वार
हमचु इस्माईल क़ुर्बानत कुनम
गर यक़ीन दानम कि बर मन आ’शिक़ी
अज़ जमाल-ए- ख़्वेश हैरानत कुनम
गर तू अफ़लातून -ओ- लुक़मानी बइ’ल्म
मन ब यक दीदार-ए- नादानत कुनम
शम्स तबरेज़ी ब मौलाना बगो
दफ़्तर-ए- असरार-ए- दीवानत कुनम
दर इश्क़ न जिस्मम-ओ- न जानम
चीज़े अ’जबम न ईँ न आनम
हर जा कि रवम ख़राब-ए- इश्क़म
मन का’बा-ओ- बुत्कद: न दानम
ऊ बेशक -ओ- बे गुमाँ यक़ीन अस्त
मन बे शक-ओ- बेगुमाँ गुमानम
मन जाम-ए- जहां नुमाए इश्क़म
मन मर्दुम-ए- दीद:-ए -जहानम
हम सूरत-ए- आफ़ताब-ए- ज़ातम
हम मा’नी-ए- सिर्र-ए- कुन फ़कानम
अफ़्जूं ज़े ज़मान-ओ- दर ज़मानम
बेरूं ज़े मकान-ओ- दर मकानम
मन बे ख़बर अज़ निशान-ओ- नामम
बिल्लाह मतलब-ए- दीगर निशानम
हम साय:-ए- आफ़ताब-ए- ज़ातम
हम मौज-ए- मुहीत-ए- बेकरानम
चूँ शम्स ज़े परतवे कि दारम
गह ज़ाहिरम -ओ- गहे निहानम