होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
yu to marne ke liye
यूँ तो मरने के लिए ज़हर सभी पीते हैं
ज़िंदगी तेरे लिए ज़हर पिया है मैं ने
Zindagi tume mujhe
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
jala ke mishleh jaha
जला के मिशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले
जो घर को आग लगाए हमारे साथ चले
दयार-ए-शाम नहीं मंज़िल-ए-सहर भी नहीं
अजब नगर है यहाँ दिन चले न रात चले
हमारे लब न सही वो दहान-ए-ज़ख़्म सही
वहीं पहुँचती है यारो कहीं से बात चले
सुतून-ए-दार पे रखते चलो सरों के चराग़
जहाँ तलक ये सितम की सियाह रात चले
हुआ असीर कोई हम-नवा तो दूर तलक
ब-पास-ए-तर्ज़-ए-नवा हम भी साथ साथ चले
बचा के लाए हम ऐ यार फिर भी नक़्द-ए-वफ़ा
अगरचे लुटते रहे रहज़नों के हाथ चले
फिर आई फ़स्ल कि मानिंद बर्ग-ए-आवारा
हमारे नाम गुलों के मुरासलात चले
क़तार-ए-शीशा है या कारवान-ए-हम-सफ़राँ
ख़िराम-ए-जाम है या जैसे काएनात चले
भुला ही बैठे जब अहल-ए-हरम तो ऐ ‘मजरूह’
बग़ल में हम भी लिए इक सनम का हाथ चले
ye kon aaya jiska jikr h
करम के बादल बरस रहे हैं, दिलों की खेती हरी भरी है
ये कौन आया के ज़िक्र जिस का नगर नगर है गली गली है
ये कौन बन कर क़रार आया, ये कौन जाने-बहार आया
गुलों के चेहरे हैं निखरे निखरे, कली कली में शगुफ़्तगी है
दीये दिलों के जलाए रखना, नबी की महफ़िल सजाए रखना
जो राहते-दिल सुकूने-जां है, वो ज़िक्र ज़िक्रे-मुहम्मदी है
नबी को अपना ख़ुदा न मानो, मगर ख़ुदा से जुदा न जानो
है अहले-ईमां का ये अक़ीदा, ख़ुदा ख़ुदा है, नबी नबी है
न मांगो दुनिया के तुम ख़ज़ीने, चलो नियाज़ी चले मदीने
के बादशाही से बढ़के प्यारे ! नबी के दर की गदागरी है
करम के बादल बरस रहे हैं, दिलों की खेती हरी भरी है
ये कौन आया के ज़िक्र जिस का नगर नगर है गली गली है
sukoon paya hai be kasi ne
सुकून पाया है बे-कसी ने, हुदूदे-ग़म से निकल गया हूँ
ख़याले-हज़रत जब आ गया है तो गिरते गिरते संभल गया हूँ
कभी मैं सुबहे-अज़ल गया हूँ, कभी मैं शामे-अबद गया हूँ
तलाशे-जानां में कितनी मंज़िल ख़ुदा ही जाने निकल गया हूँ
हरम की तपती हुई ज़मीं पर जिगर बिछाने की आरज़ू में
बहारे-ख़ुल्दे-बरी मिली तो बचा के दामन निकल गया हूँ
मेरे जनाज़े पे रोने वालो ! फ़रेब में हो, ब-गौर देखो
मरा नहीं हूँ, ग़मे-नबी में लिबासे-हस्ती बदल गया हूँ
ये शान मेरी, ये मेरी क़िस्मत, खुशा मुहब्बत ज़ए अक़ीदत
ज़ुबां पे आते ही नामे-नामी, अदब के सांचे में ढल गया हूँ
ब-फैज़े हस्सान इब्ने साबित, ब-रंगे-ना’ते-रसूले-रहमत
क़मर मैं शेरो-सुखन की लय में अदब के मोती उगल गया हूँ
sarkaar sa pyara siddiq samara
परवाने को चराग़ तो बुलबुल को फ़ूल बस
सिद्दीक़ के लिये है ख़ुदा का रसूल बस
मुस्तफ़ा का हमसफ़र, अबू बकर, अबू बकर
गली गली नगर नगर, अबू बकर, अबू बकर
लुटाया जिसने अपना घर, अबू बकर, अबू बकर
एहसान जिस का दीन पर, अबू बकर, अबू बकर
है चर्चे जिस के अर्श पर, अबू बकर, अबू बकर
लगेगा नारा फर्श पर, अबू बकर, अबू बकर
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
दुनिया-ए-सदाक़त में तेरा नाम रहेगा
सिद्दीक़ तेरे नाम से इस्लाम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
सिद्दीक़ के गुस्ताख़ से तो जंग रहेगी
जो इन से जलेगा वोही नाकाम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
बे लोस मुहब्बत का सिला ख़ूब मिला है
ता-हश्र मुहम्मद के संग आराम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
हर नस्ल तेरे काम की तजदीद करेगी
जब तक रहेगी दुनिया तेरा नाम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
सिद्दीक़ के बाग़ी तो सदा रोते रहेंगे
खुश आशिक़े-सिद्दीक़ सुबहो-शाम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
सिद्दीक़ की बैअत जो की हसनैनो-अली ने
तारीख़ी फ़ैसला तो सरे आम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
अस्हाबे-नबी, आले-नबी दीन की पहचान
जो दिल का है अंधा वोही ग़ुमनाम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
हर अहद पे सिद्दीक़ का एहसान उजागर
बा’द अज़ नबी सिद्दीक़ का इकराम रहेगा
सालारे-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा
सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा
हर सुन्नी का नारा, सिद्दीक़ हमारा
परवाने को चराग़ तो बुलबुल को फ़ूल बस
सिद्दीक़ के लिये है ख़ुदा का रसूल बस
badi shan h mustafa ki
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
बड़े से बड़ा जिनके दर का सवाली
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
फ़रिश्ते भी मेरी ज़बीं चूमते हैं
मैं जब चूम लूँ उनके रोज़े की जाली
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
जहां में अनोखा है उनका मदीना
ज़माने में है उनकी चौखट निराली
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
मिले उनकी रहमत की ख़ैरात सब को
गया कोई भी उनके दर से न खाली
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
कहाँ ये हुज़ूरी, कहाँ मैं ज़हूरी
मैं अदना से अदना, वो आली से आली
बड़ी शान वाला मदीने का वाली
बड़े से बड़ा जिनके दर का सवाली
nar-e-khawaza garib nawaz
नार-ए-ख़्वाजा, ग़रीब नवाज़, ग़रीब नवाज़
नार-ए-ख़्वाजा, ग़रीब नवाज़, ग़रीब नवाज़
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
जिस की है शहन्शाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
आमदे-पंजतन हो रही है, हर तरफ रोशनी रोशनी है
सारे वलियों का मेला लगा है, मेरे ख़्वाजा पिया की छटी है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मिल गई मुझ को ख़्वाजा की निस्बत, मिल गई जैसे दुनिया में जन्नत
लाज रखी है ख़्वाजा पिया ने, खोटी क़िस्मत हमारी खरी है
जिस की है शहंशाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मस्त सूफ़ी क़लन्दर है आए, शाहे-संजर की महफ़िल सजी है
बट रहा है मुहम्मद का सदक़ा, झोली सब की भरी जा रही है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
ज़िन्दगी मेरे ख़्वाजा के दम से, बस नवाज़ा करम ही करम से
मेरा मुर्शिद है अजमेर वाला, उनकी सूरत नज़र में बसी है
जिस की है शहन्शाही अजमेर में बैठा है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
ज़िक्रे ख़्वाजा पिया का वज़ीफ़ा, मेरी बख़्शिश का है ये वसीला
पंजतन पाक का लाल है ये, बाग़े-ज़हरा की ये तो कली है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
मस्त-कलंदर, सूफ़ी, अत्तारी, क़ादरी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
नक़्शबन्दी, सोहरवर्दी, चिश्ती, फरीदी
ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं, ख़्वाजा ख़्वाजा कहते हैं
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
कोई नहीं है मुश्किल जब ख़्वाजा बादशाह है
mera murshid ali maula
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
ज़िक्रे अली नेकी है यारो, है ये ज़िक्रे सहाबा
हैदर मौला, हैदर मौला, हर मोमिन का नारा
नारा मार के हैदर, जिए जा, जिए जा, जिए जा
इस्मे-आज़म है ये नारा, इस्मे-आज़म है ये नारा
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
हैदर जब मैदान में आते, दुश्मन भागते सारे
नाम अली का सुन के बुज़दिल, थर थर कांपते सारे
तेरे मुक़ाबिल जो आता, डर जाता, डर जाता, डर जाता
दबदबा है तेरा ऐसा, दबदबा है तेरा ऐसा
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
अली अली मौला अली, अली अली मौला
अली अली मौला अली, अली अली मौला
पैदा हो कर सब से पहले चेहरा नबी का देखा
जब आक़ा ने आप को चूमा, मन्ज़र कैसा होगा
झूम के दिल ने कहा मुर्शिद, मुर्शिद मेरा
वाह ! क़िस्मत तेरी वाह वाह !, वाह ! क़िस्मत तेरी वाह वाह !
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
माहे रजब की तेरहवीं आई, दिन जुम्मे का आया
काअबे में है किस की विलादत, शेर ख़ुदा का आया
आज अली है आया, आया, आया, आया
मुर्तज़ा है लक़ब जिस का, मुर्तज़ा है लक़ब जिस का
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
आक़ा ने आँखों में तेरी अपना लुआब लगाया
ख़ैबर में आक़ा ने झंडा हाथ में तेरे थमाया
एक ही बार में ख़ैबर, ख़ैबर उखाड़ा
फ़ातेह है अली मौला, फ़ातेह है अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
हैदर मौला अली अली, अली अली मौला
हैदर मौला अली अली, अली अली मौला
शाहे-मर्दां तेरे दर पे बन के भिकारी आऊं
तेरे दर की मिट्टी को मैं अपना सुरमा बनाऊं
नौकरी तेरी करूँ मेरे मुर्शिद मौला
ये है इरफ़ान का अरमान, ये है इरफ़ान का अरमान
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला
मेरा मुर्शिद अली मौला, मेरा मुर्शिद अली मौला