अर्ज़-ओ-समा कहाँ तिरी वुसअत को पा सके
मेरा ही दिल है वो कि जहाँ तू समा सके
Mera ji hain jab tak teri zustazu hain
मिरा जी है जब तक तिरी जुस्तुजू है
ज़बाँ जब तलक है यही गुफ़्तुगू है
ख़ुदा जाने क्या होगा अंजाम इस का
मैं बे-सब्र इतना हूँ वो तुंद-ख़ू है
तमन्ना तिरी है अगर है तमन्ना
तिरी आरज़ू है अगर आरज़ू है
किया सैर सब हम ने गुलज़ार-ए-दुनिया
गुल-ए-दोस्ती में अजब रंग-ओ-बू है
ग़नीमत है ये दीद व दीद-ए-याराँ
जहाँ आँख मुँद गई न मैं हूँ न तू है
नज़र मेरे दिल की पड़ी ‘दर्द’ किस पर
जिधर देखता हूँ वही रू-ब-रू है
Urdu Kalam Bedam Shah Warsi
Badlti raheti hai duniya mere khayalon ki
Kabhi mila hoon kabhi yaar se juda hoon main
Mai mit gya hoon to phir kiska naam hai bedam
Bo mil gya hai to phir kisko dhundta hoon main
Urdu Kalam Bedam Shah Warsi
या सच
या तो मैं सच कहता हूं
या फिर चुप ही रहता हूं
बहुत नहीं तैरा, लेकिन
ख़ुश हूं, कम ही बहता हूं
डरते लोगों से डर कर
सहमा-सहमा रहता हूं
बाहर दीवारें चुन कर
भीतर-भीतर ढहता हूं
कुछ अनकही भी कह जाऊं
इसी लिए सब सहता हूं
-संजय ग्रोवर
depression
I’m not sure if i’m depressed.
i mean, i’m not exactly sad. but i’m not exactly happy either.
i can laugh jokes and smile during the day,
but when i’m alone at night
i forgot how to feel.
Love Qoutes
pyaar toh krta hu main,
daily usse ladta hu main,har galti ko notice karta hu main,
pyar toh karta hu main,
uska number busy jaaye toh chilata hu main,
insecurity se bhar jaata hu main,
vo kehti h k vo meri hai par usse khone se dar jaata hu main,
vo online reh kar mujhe 1 minute baad reply kare toh rude ho k uss p chadd jata hu main,
kaha busy thi kya tujhko pasand nhi aata hu main,
sorry bulwa kar sirf satisfy ho jata hu main,
jab lagta hai vo sirf meri h sirf meri toh kush ho jata hu main,
pyaar toh karta hu main,
jab vo apne kissi bhi friend se bt kr le toh bechain ho jata hu main,
gusse ka badal ban k uss p barash jata hu main,
pyaar toh krta hu main,
roti h mere kandho par kush karne k liye joker ban jaata hu main,
pyaar se usse mela bacha bulata hu main,
us k liye jaan tak dena chaahta hu main,
galat vo nhi main hu isss baat ko nhi maan paata hu main ,
iss ulljhan se nhi nikal paata hu main,
pyar toh karta hu main.
Ghazal
बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी
सो रहता है ब-अंदाज़-ए-चकीदन सर-निगूँ वो भी
रहे उस शोख़ से आज़ुर्दा हम चंदे तकल्लुफ़ से
तकल्लुफ़ बरतरफ़ था एक अंदाज़-ए-जुनूँ वो भी
ख़याल-ए-मर्ग कब तस्कीं दिल-ए-आज़ुर्दा को बख़्शे
मिरे दाम-ए-तमन्ना में है इक सैद-ए-ज़बूँ वो भी
न करता काश नाला मुझ को क्या मालूम था हमदम
कि होगा बाइस-ए-अफ़्ज़ाइश-ए-दर्द-ए-दरूँ वो भी
न इतना बुर्रिश-ए-तेग़-ए-जफ़ा पर नाज़ फ़रमाओ
मिरे दरिया-ए-बे-ताबी में है इक मौज-ए-ख़ूँ वो भी
मय-ए-इशरत की ख़्वाहिश साक़ी-ए-गर्दूं से क्या कीजे
लिए बैठा है इक दो चार जाम-ए-वाज़-गूँ वो भी
मिरे दिल में है ‘ग़ालिब’ शौक़-ए-वस्ल ओ शिकवा-ए-हिज्राँ
ख़ुदा वो दिन करे जो उस से मैं ये भी कहूँ वो भी
मुझे मालूम है जो तू ने मेरे हक़ में सोचा है
कहीं हो जाए जल्द ऐ गर्दिश-ए-गर्दून-ए-दूँ वो भी
नज़र राहत पे मेरी कर न वा’दा शब के आने का
कि मेरी ख़्वाब-बंदी के लिए होगा फ़ुसूँ वो भी
Kabhi Samt-e-Gaib si Kya Hua
कभी सम्त-ए-ग़ैब सीं क्या हुआ कि चमन ज़ुहूर का जल गया
मगर एक शाख़-ए-निहाल-ए-ग़म जिसे दिल कहो सो हरी रही
Agar kuchh hosh hum rakhte
अगर कुछ होश हम रखते तो मस्ताने हुए होते
पहुँचते जा लब-ए-साक़ी कूँ पैमाने हुए होते
अबस इन शहरियों में वक़्त अपना हम किए ज़ाए
किसी मजनूँ की सोहबत बैठ दीवाने हुए होते
न रखता मैं यहाँ गर उल्फ़त-ए-लैला निगाहों कूँ
तो मजनूँ की तरह आलम में अफ़्साने हुए होते
अगर हम आश्ना होते तिरी बेगाना-ख़ूई सीं
बरा-ए-मस्लहत ज़ाहिर में बेगाने हुए होते
ज़ि-बस काफ़िर-अदायों ने चलाए संग-ए-बे-रहमी
अगर सब जम्अ करता मैं तो बुत-ख़ाने हुए होते
न करता ज़ब्त अगर मैं गिर्या-ए-बे-इख़्तियारी कूँ
गुज़रता जिस तरफ़ ये पूर वीराने हुए होते
नज़र चश्म-ए-ख़रीदारी सीं करता दिलबर-ए-नादाँ
अगर क़तरे मिरे आँसू के दुरदाने हुए होते
मोहब्बत के नशे में ख़ास इंसाँ वास्ते वर्ना
फ़रिश्ते ये शराबें पी कि मस्ताने हुए होते
एवज़ अपने गरेबाँ के किसी की ज़ुल्फ़ हात आती
हमारे हात के पंजे मगर शाने हुए होते
तिरी शमशीर-ए-अबरू सीं हुए सन्मुख व इल्ला न
अजल की तेग़ सीं ज्यूँ आरा दंदाने हुए होते
मज़ा जो आशिक़ी में है सो माशूक़ी में हरगिज़ नीं
‘सिराज’ अब हो चुके अफ़सोस परवाने हुए होते
Shaki Shayari
अलग बैठे थे फिर भी आँख साक़ी की पड़ी हम पर
अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आएँगे