ba-khuda ghair-e-khuda

ब-ख़ुदा ग़ैर-ए-ख़ुदा दर दो-जहाँ चीज़े नीस्त
बे-निशानस्त कज़ू नाम-ओ-निशाँ चीज़े नीस्त

हस्ती-ए-तुस्त हिजाब-ए-तू दिगर न पैदा-अस्त
कि ब-जुज़ दोस्त दरीं पर्दः निहाँ चीज़े नीस्त

चंद महजूब-नशीनी ब-गुमान-ए-दीगराँ
ख़ेमा दर कू-ए-यक़ीं ज़न कि गुमाँ चीज़े नीस्त

बंदा-ए-इश्क़ शुदी तर्क-ए-नसब कुन ‘जामी’
कि दरीं राह फुलाँ इब्न-ए-फुलाँ चीज़े नीस्त

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Az yar-e-kuhan nami kuni yaad

अज़ यार-ए-कुहन नमी कुनी याद
ईं शेवा-ए-नौ मुबारकत-बाद

फ़रियाद-ए-कसे नमी कुनी गोश
पेश कि कुनेम अज़ तू फ़रियाद

आँ सोख़्ता याफ़्त लज़्ज़त-ए-इश्क़
कज़ वस्ल-ए-निशाँ न-दीद व जाँ दाद

बा दौलते बंदगियत हस्तम
अज़ ख़्वाजगी-ए-दो-आलम आज़ाद

मुर्ग़-ए-चमन-ए-वफ़ा अस्त ‘जामी’
दर दाम-ए-ग़म-ओ-बला चे उफ़्ताद

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sahara maujo ka le le ke bad raha ho

सहारा मौजों का ले ले के बढ़ रहा हूँ मैं
सफ़ीना जिस का है तूफ़ाँ वो नाख़ुदा हूँ मैं

ख़ुद अपने जल्वा-ए-हस्ती का मुब्तला हूँ मैं
न मुद्दई हूँ किसी का न मुद्दआ हूँ मैं

कुछ आगे आलम-ए-हस्ती से गूँजता हूँ मैं
कि दिल से टूटे हुए साज़ की सदा हूँ मैं

पड़ा हुआ हूँ जहाँ जिस तरह पड़ा हूँ मैं
जो तेरे दर से न उठ्ठे वो नक़्श-ए-पा हूँ मैं

जहान-ए-इश्क़ में गो पैकर-ए-वफ़ा हूँ मैं
तिरी निगाह में जब कुछ नहीं तो क्या हूँ मैं

तजल्लियात की तस्वीर खींच कर दिल में
तसव्वुरात की दुनिया बसा रहा हूँ मैं

जुनून-ए-इश्क़ की नैरंगियाँ अरे तौबा
कभी ख़ुदा हूँ कभी बंदा-ए-ख़ुदा हूँ मैं

बदलती रहती है दुनिया मिरे ख़यालों की
कभी मिला हूँ कभी यार से जुदा हूँ मैं

हयात ओ मौत के जल्वे हैं मेरी हस्ती में
तग़य्युरात-ए-दो-आलम का आइना हूँ मैं

तिरी अता के तसद्दुक़ तिरे करम के निसार
कि अब तो अपनी नज़र में भी दूसरा हूँ मैं

बक़ा की फ़िक्र न अंदेशा-ए-फ़ना मुझ को
तअय्युनात की हद से गुज़र गया हूँ मैं

मुझी को देख लें अब तेरे देखने वाले
तू आइना है मिरा तेरा आईना हूँ मैं

मैं मिट गया हूँ तो फिर किस का नाम है ‘बेदम’
वो मिल गए हैं तो फिर किस को ढूँढता हूँ मैं

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