Puchh mujhse haqeeqat e shab e gam
Tu to roo roo kar so gaya hoga
Tere hote huye bhi gumshum hun
Tu chala jaye ga to kya hoga
Ye zulf agar khul ke
Ye zulf agar khul ke bikhar jaa.e to achchhā
is raat kī taqdīr sañvar jaa.e to achchhā
jis tarah se thoḌī sī tire saath kaTī hai
baaqī bhī usī tarah guzar jaa.e to achchhā
duniyā kī nigāhoñ meñ bhalā kyā hai burā kyā
ye bojh agar dil se utar jaa.e to achchhā
vaise to tumhīñ ne mujhe barbād kiyā hai
ilzām kisī aur ke sar jaa.e to achchhā
Bahut ghutan hai koi surat
बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले
अगर सदा न उठे कम से कम फ़ुग़ाँ निकले
फ़क़ीर-ए-शहर के तन पर लिबास बाक़ी है
अमीर-ए-शहर के अरमाँ अभी कहाँ निकले
हक़ीक़तें हैं सलामत तो ख़्वाब बहुतेरे
मलाल क्यूँ हो कि कुछ ख़्वाब राएगाँ निकले
उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी
जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले
सितम के दौर में हम अहल-ए-दिल ही काम आए
ज़बाँ पे नाज़ था जिन को वो बे-ज़बाँ निकले
Akayed bahem hai majhab khyal
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
अज़ल से ज़ेहन-ए-इंसाँ बस्ता-ए-औहाम है साक़ी
हक़ीक़त-आश्नाई अस्ल में गुम-कर्दा राही है
उरूस-ए-आगही परवुर्दा-ए-इब्हाम है साक़ी
मुबारक हो ज़ईफ़ी को ख़िरद की फ़लसफ़ा-रानी
जवानी बे-नियाज़-ए-इबरत-ए-अंजाम है साक़ी
हवस होगी असीर-ए-हल्क़ा-ए-नेक-ओ-बद-ए-आलम
मोहब्बत मावरा-ए-फ़िक्र-ए-नंग-ओ-नाम है साक़ी
अभी तक रास्ते के पेच-ओ-ख़म से दिल धड़कता है
मिरा ज़ौक़-ए-तलब शायद अभी तक ख़ाम है साक़ी
वहाँ भेजा गया हूँ चाक करने पर्दा-ए-शब को
जहाँ हर सुब्ह के दामन पे अक्स-ए-शाम है साक़ी
मिरे साग़र में मय है और तिरे हाथों में बरबत है
वतन की सर-ज़मीं में भूक से कोहराम है साक़ी
ज़माना बरसर-ए-पैकार है पुर-हौल शो’लों से
तिरे लब पर अभी तक नग़्मा-ए-ख़य्याम है साक़ी
Apna dil pesh karun
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ
मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ
जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
Ahele dil or bhi hai
अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
एक हम ही नहीं दुनिया से ख़फ़ा और भी हैं
हम पे ही ख़त्म नहीं मस्लक-ए-शोरीदा-सरीचाक-ए-दिल और भी
हैं चाक-ए-क़बा और भी हैं
क्या हुआ गर मिरे यारों की ज़बानें चुप हैं
मेरे शाहिद मिरे यारों के सिवा और भी हैं
सर सलामत है तो क्या संग-ए-मलामत की कमी
जान बाक़ी है तो पैकान-ए-क़ज़ा और भी हैं
मुंसिफ़-ए-शहर की वहदत पे न हर्फ़ आ जाए
लोग कहते हैं कि अर्बाब-ए-जफ़ा और भी हैं
Har taraf yar ka tamasha hai
हर तरफ़ यार का तमाशा है
उस के दीदार का तमाशा है
इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्त
जीत और हार का तमाशा है
ख़ल्वत-ए-इंतिज़ार में उस की
दर-ओ-दीवार का तमाशा है
सीना-ए-दाग़ दाग़ में मेरे
सहन-ए-गुलज़ार का तमाशा है
है शिकार-ए-कमंद-ए-इश्क़ ‘सिराज’
इस गले हार का तमाशा है
Dard ki daulat-e-bedar ata ho saqi
दर्द की दौलत-ए-बेदार अता हो साक़ी
हम बही-ख़्वाह सभी के हैं भला हो साक़ी
सख़्त-जाँ ही नहीं हम ख़ुद-सर-ओ-ख़ुद्दार भी हैं
नावक-ए-नाज़ ख़ता है तो ख़ता हो साक़ी
सई-ए-तदबीर में मुज़्मर है इक आह-ए-जाँ-सोज़
उस का इनआ’म सज़ा हो कि जज़ा हो साक़ी
सीना-ए-शौक़ में वो ज़ख़्म कि लौ दे उठ्ठे
और भी तेज़ ज़माने की हवा हो साक़ी
Meri ulfat mujhe kaafir banaa de
Meri ulfat mujhe kaafir banaa de
Siva tere koi dil me mere agar ho
Mujhe aaka ataa aisi nazer ho
Main dekhu jis traf tu jalwager ho
Mujhe kya kaam hai dair o haram se
Mera sajda udher hai tu jidher ho
Mujhe sara jahan apna kahe ga
Meri jaanib teri nazer ho
Sarapa bandagi bo zindagi hai
Khayal e mustfa(s.a.w) me jo basher ho
Nahi iske siva koi tamnna
Jab aaye mout tu pese nazer ho
Yehi bas aarzu hai yaa ilahi
Jamal e yaar ho meri nazer ho
Nazer e Tagaful e yaar ka gilaa
नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सीं बयाँ करूँ
कि शराब-ए-सद-क़दह आरज़ू ख़ुम-ए-दिल में थी सो भरी रही