आँखों का एहतराम तो उनकी नमी पे है
अब छोड़ दिया फैसला जो है तुमी पे है।
शराफत का आसमान बड़ी दूर तलक है
बादल मगर गुनाह का आना जमीं पे है।
मदमस्त जवानी है मगर याद रहे ये
दारोमदार मुल्क का सारा हमीं पे है।
आँखों का एहतराम तो उनकी नमी पे है
अब छोड़ दिया फैसला जो है तुमी पे है।
शराफत का आसमान बड़ी दूर तलक है
बादल मगर गुनाह का आना जमीं पे है।
मदमस्त जवानी है मगर याद रहे ये
दारोमदार मुल्क का सारा हमीं पे है।
अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है
ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी
जिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही
ज़िल्लत उठाने से बेहतर है तकलीफ उठाओ .
कभी भी अपनी जिस्मानी ताकत और दौलत पर भरोसा न करना क्युँकि बीमारी और ग़रीबी आने में देर नही लगती…!!
“इंसान की ज़ुबान उसकी अक्ल का पता देती है और आदमी अपनी ज़ुबान के नीचे छुपा होता है !!”
अपने आप को ढांप कर नहीं रखेगी।
अपने खाविंद की नफरमानी करेगी।
बदजुबान होगी।
बालों की नुमाईश करेगी।
खानदान भर में अपने आपको आकिल ख्याल करेगी।
दुसरों को बात न करने देगी
नींद उसे बहुत अजीज होगी।
अपनी आवाज को बहुत बुलंद करके बात करेगी।
कपड़े बारीक और दिखावे वाले पहनेंगी।
पीठ पिछे अपने खानदान की बुराई करेगी।
बाजारों के चक्कर लगाने की शौकीन होगी
-हजरत अली
1 तकब्बूर करेगा।
2.अकड के बोलेगा।
3. दिखावा ज्यादा करेगा।
4.बदजुबान होगा।
5.अकड कर चलेगा।
6. खानदान में सबको जलील करेगा।
7. अपने पैसे पर नाज करेगा।
8. अपने सेहत पर नाज करेगा।
9. बुजुर्गों को जलील करके खुश होगा।
10. अपनी जवानी के किस्से ज्यादा सुनाया करेगा।
11. हासिद होगा।
12. मां बाप का नफरमान होगा।
-हजरत अली
जब गुनाह के बावजूद अल्लाह की नेअमते मुसलसल तुझे मिलती रहे तो तु होशियार हो जाना के तेरा हिसाब करिब और सख्त तरिन है हज़रत अली
कोई गुनाह लज्जत के लिए मत करना क्यो की लज्जत खत्म गुनाह बाकी रहेगा और कोई नेकी तकलीफ की वजह से मत छोड ना क्यो की तखलीफ खत्म हो जायेगी पर नेकी बाकी रहेगी
एक ज़माना ऐसा भी आएगा कि लोग अपने रब को भुल जाएंगे,लिबास बहुत क़ीमती पहन कर बज़ार में अकड़ कर चलेंगे और इस बात से बेखबर होंगे के उसी बाज़ार में उन का कफन मौजूद है ।
जाहिल के सामने अक़्ल की बात मत करो पहले वो बहस करेगा फिर अपनी हार देखकर दुश्मन हो जायेगा
जब नेमतों पर शुक्र अदा किया जाए तो वह कभी ख़त्म नही होती ।