Ek Aeena ru-w-ru hai abhi

एक आईना रू-ब-रू है अभी
उस की ख़ुश्बू से गुफ़्तुगू है अभी

वही ख़ाना-ब-दोश उम्मीदें
वही बे-सब्र दिल की ख़ू है अभी

दिल के गुंजान रास्तों पे कहीं
तेरी आवाज़ और तू है अभी

ज़िंदगी की तरह ख़िराज-तलब
कोई दरमाँदा आरज़ू है अभी

बोलते हैं दिलों के सन्नाटे
शोर सा ये जो चार-सू है अभी

ज़र्द पत्तों को ले गई है हवा
शाख़ में शिद्दत-ए-नुमू है अभी

वर्ना इंसान मर गया होता
कोई बे-नाम जुस्तुजू है अभी

हम-सफ़र भी हैं रहगुज़र भी है
ये मुसाफ़िर ही कू-ब-कू है अभी

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hoto pe tera naam aaya hai

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए
आए तो सही बर-सर-ए-इलज़ाम ही आए

हैरान हैं लब-बस्ता हैं दिल-गीर हैं ग़ुंचे
ख़ुश्बू की ज़बानी तिरा पैग़ाम ही आए

लम्हात-ए-मसर्रत हैं तसव्वुर से गुरेज़ाँ
याद आए हैं जब भी ग़म-ओ-आलाम ही आए

तारों से सजा लेंगे रह-ए-शहर-ए-तमन्ना
मक़्दूर नहीं सुब्ह चलो शाम ही आए

क्या राह बदलने का गिला हम-सफ़रों से
जिस रह से चले तेरे दर-ओ-बाम ही आए

थक-हार के बैठे हैं सर-ए-कू-ए-तमन्ना
काम आए तो फिर जज़्बा-ए-नाकाम ही आए

बाक़ी न रहे साख ‘अदा’ दश्त-ए-जुनूँ की
दिल में अगर अंदेशा-ए-अंजाम ही आए

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