dekha jo uss taraf to badan par najar gai

देखा जो उस तरफ़ तो बदन पर नज़र गई
इक आग थी जो मेरे पियाले में भर गई

उन रास्तों में नाम-ओ-नसब का निशाँ न था
हंगामा-ए-बहार में ख़िल्क़त जिधर गई

इक दास्तान अब भी सुनाते हैं फ़र्श ओ बाम
वो कौन थी जो रक़्स के आलम में मर गई

इतना क़रीब पा के उसे दम-ब-ख़ुद था मैं
ऐसा लगा ज़मीन की गर्दिश ठहर गई

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Ye bill yaki hussain hai nabi ka noor-e-ain hai

यह कौन ज़ी वक़ार है, बला का शह सवार है
के है हज़ारों कातिलों के सामने डटा हुआ

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

यह कौन हक़-परस्त है, मय-ए रज़ा ए मस्त है
के जिसके सामने कोई बुलंद है न पस्त है
उधर हज़ार घात है, मगर अजीब बात है
के एक से हज़ार का भी हौसला शिकस्त है

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

हुसैन जिसकी सदा ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी अदा ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी सना ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी दुआ ला इलाहा इलल्लाह

जो दहकती आग के शोलों पे सोया वो हुसैन
जिसने अपने ख़ून से आ़लम को धोया वो हुसैन
जो जवां बेटे की मैय्यत पर न रोया वो हुसैन
जिसने सब कुछ खो के फिर भी कुछ न खोया वो हुसैन

रस्म-ए उश्शाक़ यही है के वफ़ा करते हैं
य़ानी हर हाल में हक़ अपना अदा करते हैं
हौसला हज़रत-ए शब्बीर का अल्लाह अल्लाह
सर जुदा होता है और शुक्र-ए ख़ुदा करते हैं

दिलावरी में फ़र्द है बड़ा ही शेर मर्द है
के जिसके दबदबे से रंग दुश्मनों का ज़र्द है
हबीब ए मुस्तफा है ये मुजाहिद ए ख़ुदा है ये
जभी तो इसके सामने यह फौज गर्द गर्द है

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

ईमान की तौक़ीर कहा जाता है
क़ुरआन की तफ़्सीर कहा जाता है
बातिल के सामने जो कभी झुक न सकी
उस ज़ात को शब्बीर कहा जाता है

उधर सिपाह-ए शाम है हज़ार इन्तिज़ाम
उधर हैं दुश्मनान-ए दीं इधर फ़क़त इमाम है
मगर अ़जीब शान है ग़जब की आन-बान है
के जिस तरफ़ उठी है तेग़ बस ख़ुदा का नाम है

यह जिसकी एक ज़र्ब से, कमाल ए फ़न-ए ह़र्ब से
कई शकी गिरे हुए तड़प रहे हैं कर्ब से
गजब है तेग़-ए दो सिरा के एक एक वार पर
उठी सदा ए अलअमा ज़बान-ए शर्क़ ओ ग़र्ब से

अ़बा भी तार तार है, तो जिस्म भी फ़गार है
ज़मीन भी तपी हुई, फलक भी शोला बार है
मगर ये मर्द-ए तेग़ज़न, ये सफ़ शिकन, फ़लक फ़िगन
कमाल-ए सब्र ओ तन दिही से मह्व-ए कारज़ार है

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nayi duniya dilksh maloom hoti hai

नई दुनिया मुजस्सम दिलकशी मालूम होती है
मगर इस हुस्न में दिल की कमी मालूम होती है

हिजाबों में नसीम-ए-ज़िंदगी मालूम होती है
किसी दामन की हल्की थरथरी मालूम होती है

मिरी रातों की ख़ुनकी है तिरे गेसू-ए-पुर-ख़म में
ये बढ़ती छाँव भी कितनी घनी मालूम होती है

वो अच्छा था जो बेड़ा मौज के रहम ओ करम पर था
ख़िज़र आए तो कश्ती डूबती मालूम होती है

ये दिल की तिश्नगी है या नज़र की प्यास है साक़ी
हर इक बोतल जो ख़ाली है भरी मालूम होती है

दम-ए-आख़िर मुदावा-ए-दिल-ए-बीमार क्या मअ’नी
मुझे छोड़ो कि मुझ को नींद सी मालूम होती है

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है

नसीम-ए-ज़िंदगी के सोज़ से मुरझाई जाती है
ये हस्ती फूल की इक पंखुड़ी मालूम होती है

जिधर देखा ‘नुशूर’ इक आलम-ए-दीगर नज़र आया
मुसीबत में ये दुनिया अजनबी मालूम होती है

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Shah ast Hussain Badshah ast Hussain

शाह अस्त हुसैन बादशाह अस्त हुसैन
दीन अस्त हुसैन दीं’पनाह अस्त हुसैन

जब वादा-ए-तिफ़ली को वफ़ा कर चुके शब्बीर
सर मार्काए करबोबला कर चुके शब्बीर
ख़ंजर के तले शुक्रे खुदा कर चुके शब्बीर
उम्मत के लिए हक़ से दुआ कर चुके शब्बीर
तीरों ने समेटा शहे बेकस का मुसल्ला
थर्राई ज़मीं काँप उठा अरशे मुअल्ला

जो काम था भाई का बहन ने वो संभाला
जलते हुए ख़ैमें से भतीजे को निकाला
दम तोड़ गया सामने हर गोद का पाला
लब तक ना बर आया दिले बेताब से नाला

एलाने कुनाँ नारा-ए-तकबीर थी ज़ैनब
हाँ नाशिर-ए-मक़सदे शब्बीर थी ज़ैनब

चादर जो छिनी साक़िये कौसर को पुकारा
क़ासिम को सदा दी अली अकबर को पुकारा
हर ज़ुल्म पे अब्बास-ए-दिलावर को पुकारा
झूले में लगी आग तो असग़र को पुकारा

नागाह सवार एक नज़र सामने आया
थर्राने लगी जाने दिले फ़ातेमा ज़हरा
बोली के ख़बरदार वहीं रोक ले घोड़ा
रो रो के अभी सोए हैं मासूम तरस खा

कह दे उमर-ए-साद से लिल्लाह ये जाकर
कल दिन के उजाले में हमे लूटना आकर

ज़ैनब की सदा सुनके भी ठहरा ना जब सवार
तब बिन्ते अली आगे बढ़ीं गैज़ में एक बार
चिल्लाई के अये बानीए बेदाद ओ जफ़ाकार
सुनता नहीं तू कहती हूँ मैं जो जिगर अफ़गार

अंजाम ना रुकने का भी अब जान ले ज़ालिम
बेटी हूँ अली की मुझे पहचान ले ज़ालिम

ये कहते हुए डाल दिया हाथ अना पर
अब चाहिए क्या लूट लिया जब के भरा घर
हूँ लाख ग़रीबुल वतनों बेकसो मुज़तर
मजबूर समझना ना मुझे फिर भी सितमगर

क्या ख़ौफ़ मुझे बाज़िद अपने इरादे पे जो तू है
इन बाज़ुओं में फ़ातेमा ज़हरा का लहू है

शब भर मैं तेरे ख़ैमें का दरबान रहूँगा
ता सुबह इसी दश्त में मेहमान रहूँगा

दुखयारी ने जब ग़ौर से चेहरे पे नज़र की
नज़दीके रकाब आई कदम चूम के बोली
बाबा मेरे क्यूँ आन के पहले ना खबर ली
मालूम है क्या आप की औलाद पे गुज़री

ग़म खाने को ये बेकसो लाचार है बाक़ी
मर्दो मे फ़ाक़ात आबिदे बीमार है बाक़ी

जब सर मेरे भाई का कटा आप कहाँ थे
जब ख़ात्मा अकबर का हुआ आप कहाँ थे
बेशीर के जब तीर लगा आप कहाँ थे
जब सर से छिनी मेरी रिदा आप कहाँ थे

ढारस के लिए बेटी की अब आए हो बाबा
सारा मेरा घर लुट गया तब आए हो बाबा

जब मैं हुई आवारा वतन आप कहाँ थे
लूटा गया ज़हरा का चमन आप कहाँ थे
टुकड़े हुआ अब्बास का तन आप कहाँ थे
बाँधी मेरी आदां ने रसन आप कहाँ थे

ज़ैनब से कहा हाशमी हैदर ने ये रो कर
मैं साये के मानिंद तेरे साथ था दिलबर
है पेशे नज़र अब भी क़यामत का वो मंज़र
जिस वक़्त के छिनी गई सर से तेरी चादर

मैं बख़्शिशे उम्मत का सबब देख रहा था
ख़ामोश खड़ा मर्ज़िये रब देख रहा था

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shah ast hussain

Shah Ast Hussain (A.S), Badshaah Ast Hussain (A.S),
Deen Ast Hussain (A.S), Deen Panah Ast Hussain (A.S)

Sar Daad Na Daad Dast Dar Dast-E-Yazeed
Haqqa Ke Bina La Illah Ast Hussain (A.S)

Sardaaro Shehenshaah Ay Shaahe Shaheedan,
Qaari Sare Naiza Ay Waarise Quran
Kehti Hain Namazein Ab Tak Sare Maidaan
Suno Zindaa Hai Hussain (A.S)

Shah Ast Hussain (A.S), Badshaah Ast Hussain (A.S),
Deen Ast Hussain (A.S), Deen Panah Ast Hussain (A.S)

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Karbala mein 72 jahido ke naam

1.हजरत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
2.हजरत अब्बास बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
3.हजरत अली अकबर बिन हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
4.हजरत अली असगर बिन हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
5.हजरत अब्दुल्ला बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
6.हजरत जाफर बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
7.हजरत उस्मान बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
8.हजरत अबूबकर बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
9.हजरत अबूबकर बिन हसन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
10.हजरत कासिम बिन हसन बिन अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
11.हजरत अब्दुल्ला बिन हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
12.हजरत ओन बिन अब्दुल्ला बिन जाफर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
13.हजरत मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बिन जाफर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
14.हजरत अब्दुल्ला बिन मुस्लिम बिन अकील रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
15.हजरत मोहम्मद बिन मुस्लिम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
16.हजरत मोहम्मद बिन सईद बिन अकील रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
17.हजरत अब्दुल्ल रहमान बिन अकील रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
18.हजरत जाफर बिन अकील रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
19.हजरत अनस बिन हारिस असदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
20.हजरत हबीब बिन मजाहिर असदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
21.हजरत मुस्लिम बिन ओरजा असदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
22.केस बिन मशदर असदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
23.हजरत अब समाम ऊमरु बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
24..हजरत बुरेर हमदानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
25.हजरत अनजला बिन असद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
26.हजरत अबीस शकिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
27..हजरत अब्दुल्ल रहमान वहाबी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
28..हजरत सैफ बिन हासिद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
29.हजरत आमीर बिन अब्दुल्लाह हमदानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
30.हजरत जुनैद बिन हासिद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
31..हजरत मजमा बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
32.हजरत माफ बिन हिलाल रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
33..हजरत हज्जाज बिन मसरुफ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
34.हजरत उमर बिन करफा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
35.हजरत अब्दुल्ल रहमान बिन अब्देख रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
36.हजरत जुनैद बिन काब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
37.हजरत आमिर बिन जुनैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
38.हजरत नईम बिन अजलान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
39.हजरत साद बिन हारिस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
40.हजरत जुहैर बिन कैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
41.हजरत सलमान बिन मजारिब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
42.हजरत सईद बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
43.हजरत अब्दुल्लाह बिन बशीर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
44.हजरत यजीद बिन जाएद कनदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
45.हजरत हर्व बिन उमर अल कैस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
46.हजरत जहीर बिन आमिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
47.हजरत बशीर बिन आमिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
48.हजरत अब्दुल्लाह अरवाह गफ्फारी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
49.हजरत जोन (हजरत अबुजर के गुलाम) रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
50.हजरत अब्दुल्लाह बिन आमिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
51.हजरत अब्दुल्लाह आला बिन यजीद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
52.हजरत सलीम बिन आमीर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
53.हजरत कासिम बिन हबीब रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
54.हजरत जाएद बिन सलीम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
55.हजरत नोमान बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
56.हजरत यजीद बिन साबीत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
57.हजरत आमिर बिन मुस्लिम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
58.हजरत सैफ बिन मलिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
59.हजरत जाबिर बिन हज्जाजी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
60.हजरत मसुद बिन हज्जाजी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
61.हजरत अब्दुल्ल रहमान बिन मसुद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
62.हजरत बाकिर बिन हई रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
63.हजरत अम्मार बिन हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
64.हजरत जिरगाम बिन मलिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
65.हजरत कनान बिन अतीक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
66.हजरत अकबा बिन सल्ह रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
67.हजरत हुर बिन यजीद तमीमी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
68.हजरत उमर बिन खालिद सौदावी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
69.हजरत हबाला बिन अली शीबानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
70.हजरत कनाब बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
71.हजरत अब्दुल्लाह बिन यकतर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
72.हजरत गुलाम ए तुर्की (इमाम सज्जाद के गुलाम) रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

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Shayari 15 august

ख़ुशियों के गीत गाओ कि पंद्रह अगस्त है
सब मिल के मुस्कुराओ कि पंद्रह अगस्त है

हर सम्त क़हक़हे हैं चराग़ाँ है हर तरफ़
तुम ख़ुद भी जगमगाओ कि पंद्रह अगस्त है

हर गोशा-ए-वतन को निखारो सँवार दो
महकाओ लहलहाओ कि पंद्रह अगस्त है

आज़ादी-ए-वतन पे हुए हैं कई निसार
ख़ातिर में इन को लाओ कि पंद्रह अगस्त है

रक्खो न सिर्फ़ ख़ंदा-ए-गुल हैं निगाह में
काँटों को भी हँसाओ कि पंद्रह अगस्त है

रूहें अमान-ओ-अम्न की प्यासी हैं आज भी
प्यास इन की अब बुझाओ कि पंद्रह अगस्त है

शम्अ’ ख़ुलूस-ओ-उन्स की मद्धम है रौशनी
लौ और कुछ बढ़ाओ कि पंद्रह अगस्त है

ये अहद तुम करो कि फ़सादात फिर न हों
हाँ आग ये बुझाओ कि पंद्रह अगस्त है

खाओ क़सम कि ख़ून पिलाएँगे मुल्क को
दिल से क़सम ये खाओ कि पंद्रह अगस्त है

हर हादसे में अहल-ए-वतन मुस्तइद रहें
वो वलवला जगाओ कि पंद्रह अगस्त है

ऊँचा रहे शराफ़त-ओ-अख़्लाक़ का अलम
परचम बुलंद उठाओ कि पंद्रह अगस्त है

हो दर्द-ए-दिल में जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन फ़ुज़ूँ
‘मफ़्तूँ’ क़लम उठाओ कि पंद्रह अगस्त है

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15 august shayari

ख़ुशियों के गीत गाओ कि पंद्रह अगस्त है
सब मिल के मुस्कुराओ कि पंद्रह अगस्त है

हर सम्त क़हक़हे हैं चराग़ाँ है हर तरफ़
तुम ख़ुद भी जगमगाओ कि पंद्रह अगस्त है

हर गोशा-ए-वतन को निखारो सँवार दो
महकाओ लहलहाओ कि पंद्रह अगस्त है

आज़ादी-ए-वतन पे हुए हैं कई निसार
ख़ातिर में इन को लाओ कि पंद्रह अगस्त है

रक्खो न सिर्फ़ ख़ंदा-ए-गुल हैं निगाह में
काँटों को भी हँसाओ कि पंद्रह अगस्त है

रूहें अमान-ओ-अम्न की प्यासी हैं आज भी
प्यास इन की अब बुझाओ कि पंद्रह अगस्त है

शम्अ’ ख़ुलूस-ओ-उन्स की मद्धम है रौशनी
लौ और कुछ बढ़ाओ कि पंद्रह अगस्त है

ये अहद तुम करो कि फ़सादात फिर न हों
हाँ आग ये बुझाओ कि पंद्रह अगस्त है

खाओ क़सम कि ख़ून पिलाएँगे मुल्क को
दिल से क़सम ये खाओ कि पंद्रह अगस्त है

हर हादसे में अहल-ए-वतन मुस्तइद रहें
वो वलवला जगाओ कि पंद्रह अगस्त है

ऊँचा रहे शराफ़त-ओ-अख़्लाक़ का अलम
परचम बुलंद उठाओ कि पंद्रह अगस्त है

हो दर्द-ए-दिल में जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन फ़ुज़ूँ
‘मफ़्तूँ’ क़लम उठाओ कि पंद्रह अगस्त है

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Har soo hai bahar-e-mahe-e-august

हर सू है बहार-ए-माह-ए-अगस्त
है दिल में क़रार-ए-माह-ए-अगस्त

अपना है चमन अपना है वतन
अपना है जहान-ए-आज़ादी

है हाथों में आज़ादी का अलम
है सब से जुदा अपना परचम

आज़ाद है अब अपना मस्कन
ऊँचा है निशान-ए-आज़ादी

धरती को सजाएँगे हम सब
गुलज़ार बनाएँगे हम सब

हम सब को तरक़्क़ी की है लगन
दिखलाएँगे शान-ए-आज़ादी

इस देश की हर शय है प्यारी
हर चीज़ यहाँ की है नियाज़ी

कश्मीर हिमाला गंग-ओ-जमन
करते हैं बयान-ए-आज़ादी

बच्चे हैं मगर हिम्मत वाले
हैं आज़ादी के रखवाले

कर देंगे ज़माने को रौशन
हम लोग हैं जान-ए-आज़ादी

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Iss kadar ez hawa ke jhoke

घर का रस्ता भी मिला था शायद
राह में संग-ए-वफ़ा था शायद

इस क़दर तेज़ हवा के झोंके
शाख़ पर फूल खिला था शायद

जिस की बातों के फ़साने लिक्खे
उस ने तो कुछ न कहा था शायद

लोग बे-मेहर न होते होंगे
वहम सा दिल को हुआ था शायद

तुझ को भूले तो दुआ तक भूले
और वही वक़्त-ए-दुआ था शायद

ख़ून-ए-दिल में तो डुबोया था क़लम
और फिर कुछ न लिखा था शायद

दिल का जो रंग है ये रंग ‘अदा’
पहले आँखों में रचा था शायद

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