umr bhar yaad hai

उम्र-भर का याद है बस एक अफ़्साना मुझे
मैं ने पहचाना जिसे उस ने न पहचाना मुझे

अंजुमन की अंजुमन मुझ से मुख़ातब हो गई
आप ने देखा था शायद बे-नियाज़ाना मुझे

पहले दीवाना कहा करते थे लेकिन आज-कल
लोग कहते हैं सरापा तेरा अफ़्साना मुझे

गाहे गाहे ज़िक्र कर लेने से क्या याद आएगा
याद ही रखना मुझे या भूल ही जाना मुझे

ख़्वाब ही देखा है लेकिन हाए किस लज़्ज़त का ख़्वाब
वो मिरे घर तेरा आना और बहलाना मुझे