thi jiski justjo mujhko

थी जिस की जुस्तुजू वो हक़ीक़त नहीं मिली
इन बस्तियों में हम को रिफ़ाक़त नहीं मिली

अब तक हैं इस गुमाँ में कि हम भी हैं दहर में
इस वहम से नजात की सूरत नहीं मिली

रहना था उस के साथ बहुत देर तक मगर
इन रोज़ ओ शब में मुझ को ये फ़ुर्सत नहीं मिली

कहना था जिस को उस से किसी वक़्त में मुझे
इस बात के कलाम की मोहलत नहीं मिली

कुछ दिन के बा’द उस से जुदा हो गए ‘मुनीर’
उस बेवफ़ा से अपनी तबीअ’त नहीं मिली