ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
teri mohabbat hai
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
so dekh kar tere
सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया
कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी
mohabbat rang de jati hain
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है
मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है
aap to bhath jaye
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
tumhara dil kya hain
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
kabhi khud pe rona aaya
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
tang aa chuke hain
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
ishq bhi ho hi
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर
tere azad bando ko
तिरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी