kahte hai jise musalma bo tumhi to ho

कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो
जाती है जिस पे जान मिरी जाँ तुम्हीं तो हो

मतलब की कह रहे हैं वो दाना हमीं तो हैं
मतलब की पूछते हो वो नादाँ तुम्हीं तो हो

आता है बाद-ए-ज़ुल्म तुम्हीं को तो रहम भी
अपने किए से दिल में पशेमाँ तुम्हीं तो हो

पछताओगे बहुत मिरे दिल को उजाड़ कर
इस घर में और कौन है मेहमाँ तुम्हीं तो हो

इक रोज़ रंग लाएँगी ये मेहरबानियाँ
हम जानते थे जान के ख़्वाहाँ तुम्हीं तो हो

दिलदार ओ दिल-फ़रेब दिल-आज़ार ओ दिल-सिताँ
लाखों में हम कहेंगे कि हाँ हाँ तुम्हीं तो हो

करते हो ‘दाग़’ दूर से बुत-ख़ाने को सलाम
अपनी तरह के एक मुसलमाँ तुम्हीं तो हो