door kisi ko yaad aata hu main

दूर किसी को याद आता हूँ रात मुझे पागल करती है
घर से दूर निकल जाता हूँ रात मुझे पागल करती है

इक अनजाने शहर में देखूँ शक्ल कोई जानी-पहचानी
उस की ओर खिंचा जाता हूँ रात मुझे पागल करती है

दूर देस इक घर है अपना जैसे कोई इक सुंदर सपना
सपने में ख़ुद को पाता हूँ रात मुझे पागल करती है

‘पाशी’ दिल को चैन न आए घेरें उन की याद के साए
रात आए तो घबराता हूँ रात मुझे पागल करती है