dhoop hai kya aur saya kya hai

धूप है क्या और साया क्या है अब मालूम हुआ
ये सब खेल तमाशा क्या है अब मालूम हुआ

हँसते फूल का चेहरा देखूँ और भर आए आँख
अपने साथ ये क़िस्सा क्या है अब मालूम हुआ

हम बरसों के ब’अद भी उस को अब तक भूल न पाए
दिल से उस का रिश्ता क्या है अब मालूम हुआ

सहरा सहरा प्यासे भटके सारी उम्र जले
बादल का इक टुकड़ा क्या है अब मालूम हुआ