Bura hi kya tha jo Aap

बुरा ही क्या था जो आप अपनी मिसाल होते कमाल होते
किसी तरह से जो टूटे रिश्ते बहाल होते कमाल होते

ये लैला मजनूँ ये हीर राँझा ये शीरीं फ़रहाद की मोहब्बत
थी ऐसी शिद्दत कहीं जो उन के विसाल होते कमाल होते

पढ़ा नहीं था निसाब-ए-उल्फ़त अमल में आगे थे हर किसी से
समझती दुनिया अगर हमें बे-मिसाल होते कमाल होते

वो मुझ से मिलता ख़मोश रहता ख़मोशियों पर ही दाद पाता
मगर जो नज़रों से मुनफ़रिद से सवाल होते कमाल होते

ये क्या कि तन्हाइयों से रिश्ता बना के ख़ुद को गँवा लिया है
समा के मुझ में जो आप मेरा जमाल होते कमाल होते

जिसे भी देखा उसी को दावा-ए-हुस्न करते सुना गया है
जहान भर में हसीं अगर ख़ाल-ख़ाल होते कमाल होते

नसीब अपना सुख़नवरों में हमारी गिनती न हो सकेगी
‘उमर’ अदाकार हम अगर बा-कमाल होते कमाल होते