Apni duniya ki kahani ho main

अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
एक बिगड़ी हुई तस्वीर-ए-जवानी हूँ मैं

आग बन कर जो कभी दिल में निहाँ रहता था
आज दुनिया में उसी ग़म की निशानी हूँ मैं

हाए क्या क़हर है मरहूम जवानी की याद
दिल से कहती है कि ख़ंजर की रवानी हूँ मैं

आलम-अफ़रोज़ तपिश तेरे लिए लाया हूँ
ऐ ग़म-ए-इश्क़ तिरा अहद-ए-जवानी हूँ मैं

चर्ख़ है नग़्मागर अय्याम हैं नग़्मे ‘अख़्तर’
दास्ताँ-गो है ग़म-ए-दहर कहानी हूँ मैं