शेर-ओ-शायरी दीवान कविताओं के संग्रह को कहते हैं।Urdu Shayari in Hindi अक्सर यह शब्द उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, पंजाबी और उज़बेक भाषाओं के कविता संग्रह के लिए इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए ग़ालिब की शायरी के संग्रह को दीवान-ए ग़ालिब कहा जाता है।
हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह
उठती है हर निगाह ख़रीदार की तरह
इस कू-ए-तिश्नगी में बहुत है कि एक जाम
हाथ आ गया है दौलत-ए-बेदार की तरह
शेर-ओ-शायरी या सुख़न
तुम्हें याद हो के न याद हो – इसका पूरा शेर है ‘वो जो हम में तुम में क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो’ और इसी ग़ज़ल का एक और अंश है ‘मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा, तुम्हें याद हो के न याद हो’। urdu shayari in hindi यह ऐसे दोस्तों-प्रेमियों को शर्मिंदा करने के लिए कहा जाता है जो किसी के साथ अपना पुराना सम्बन्ध भूल गए हों।
वो तो कहीं है और मगर दिल के आस-पास
फिरती है कोई शय निगह-ए-यार की तरह
सीधी है राह-ए-शौक़ पे यूँही कहीं कहीं
ख़म हो गई है गेसू-ए-दिलदार की तरह
बे-तेशा-ए-नज़र न चलो राह-ए-रफ़्तगाँa
हर नक़्श-ए-पा बुलंद है दीवार की तरह
अब जा के कुछ खुला हुनर-ए-नाख़ून-ए-जुनूँ
ज़ख़्म-ए-जिगर हुए लब-ओ-रुख़्सार की तरह
urdu shayari in hindi ख़ुदी को कर बुलन्द इतना – यह इक़बाल का शेर है जिसके आगे का भाग है ‘के हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बन्दे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है’। इसका अर्थ है कि ‘इतने लायक़ बनो कि जीवन के हर मोड़ पर भगवान तुम्हारा भाग्य लिखते हुए तुम्ही से तुम्हारी जो मर्ज़ी हो पूछ कर लिख दे’।
‘मजरूह’ लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह