आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वर्ना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान ओ दिल को कुछ ऐसे कि जान ओ दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकें

ज़ुल्फ़ों के ख़्वाब होंटों के ख़्वाब और बदन के ख़्वाब
मेराज-ए-फ़न के ख़्वाब कमाल-ए-सुख़न के ख़्वाब
तहज़ीब-ए-ज़िंदगी के फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िंदाँ के ख़्वाब कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब