शायरी शेर-ओ-शायरी या सुख़न भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित एक कविता का रूप हैं Shayri जिसमें उर्दू-हिन्दी भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं। शायरी में संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और तुर्की भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है।
तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए
मैं ज़हर खा रही थी कि तुम याद आ गए
कल मेरी एक प्यारी सहेली किताब में
इक ख़त छुपा रही थी कि तुम याद आ गए
उस वक़्त रात-रानी मिरे सूने सहन में
ख़ुशबू लुटा रही थी कि तुम याद आ गए
ईमान जानिए कि इसे कुफ़्र जानिए
मैं सर झुका रही थी कि तुम याद आ गए
शेर-ओ-शायरी या सुख़न
भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में ऐसा होता आया है कि अगर कोई Shayri लोकप्रीय हो जाए तो वह लोक-संस्कृति में एक सूत्रवाक्य की तरह शामिल हो जाता है। उदाहरण के लिए:
- इब्तेदा-ए-इश्क़ है, रोता है क्या – इसकी दूसरी पंक्ति है, ‘आगे-आगे देखिये होता है क्या’। यह अक्सर किसी मुश्किल काम (जिसमें प्रेम-प्रयास भी है) के करते समय कहा जाता है। shayri इसका अर्थ है कि ‘अभी तो मुश्किल काम शुरू हुआ है, अभी और कठिनाई आएगी, अभी से क्या रोना
कल शाम छत पे मीर-तक़ी-‘मीर’ की ग़ज़ल
मैं गुनगुना रही थी कि तुम याद आ गए
‘अंजुम’ तुम्हारा शहर जिधर है उसी तरफ़
इक रेल जा रही थी कि तुम याद आ गए