Sad Poetry प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं।

तिरी यादों की पथरीली ज़मीं शादाब हो जाती
अगर आँखों के सहरा से कोई दरिया निकल आता

चलो अच्छा हुआ ठहरा न वो भी आख़िर-ए-शब तक
कि उस के बअ’द तो फिर सुब्ह का तारा निकल आता

sad-shayari

मिरे भी सुर्ख़-रू होने का इक मौक़ा निकल आता
ग़म-ए-जानाँ के मलबे से ग़म-ए-दुनिया निकल आता

ये माना मैं थका-हारा मुसाफ़िर हूँ मगर फिर भी
तुम्हारे साथ चलने का कोई रस्ता निकल आता

Sad Poetry Write and Read

Sad Poetry  जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में ‘रमणीय’ अर्थ के प्रतिपादक शब्द को ‘काव्य’ कहा है। ‘अर्थ की रमणीयता’ के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं।

श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं।

चलो अच्छा हुआ ठहरा न वो भी आख़िर-ए-शब तक
कि उस के बअ’द तो फिर सुब्ह का तारा निकल आता

कहाँ बे-ताब रख सकता था फिर एहसास-ए-महरूमी
दयार-ए-ग़ैर में तुम सा कोई अपना निकल आता

रिदा-ए-आगही के बोझ ने ख़म कर दिया वर्ना
हमारा क़द भी फिर तुम से बहुत ऊँचा निकल आता

बच्चा समझ के माफ़ कर दे मुझे
तेरे क़दमों में मेरे लिए थोड़ी सी जगह रख
ऐ खुदा उसके साथ रख
थोड़ा पास रख