Hindi Poetry लिखने वाले कलम चलाते हुए कुदरत और क्रांति तक भी पहुंचे, पर ज्यादातर जिंदगियों में पद्य का आगमन बरास्ते प्रेम ही हुआ. होश संभालने के बाद हमने जो पहली कविता लिखी, वह आधी-अधूरी प्रेम कविता ही थी. साहित्य का संभवत: सबसे लाडला विषय प्रेम ही है.
प्यार सच्चा झूठा करना मत,
कभी भी दिल किसी का तोड़ना मत
तोड़ना मत
दिल नाज़ुक होता है तो
उसे तोड़ना मत
दिल कोई खेल का मैदान नहीं
उसपे प्यार का खेल खेलना मत
ग़म कम हैं ज़िंदगी में ज़रा और पालिए
जो मसअले नहीं हैं उन्हें भी उछालिए
इक लग़्ज़िश-ए-क़दम भी कभी सर उड़ा गई
दस्तार छोड़ दीजिए ख़ुद को संभालिये
काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है Hindi Poetry जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है।
बस हाथ तेरा हाथ में आ ने की देर थी
सब मेहर-ओ-माह-ओ-अर्ज़-ओ-समा हम ने पा लिए
राही ये संग-ए-मील नहीं संग-ए-राह हैं
बुत बस गए हैं का’बा-ए-दिल में निकालिए
अब के हमें इशारा-ए-अंजुम न था कोई
खींचे ज़मीं ने हाथ तो लंगर उठा लिए
सरसब्ज़ दश्त ख़ौफ़ से ख़ाशाक हो गया
हैं मिशअलें हुज़ूर में अरमाँ निकालिए