नात ए शरीफ़ जिस में पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब की तारीफ़ करते लिखी जाती है। Naat इस पद्य रूप को बडे अदब से गाया भी जाता है। Hindi Naat अक्सर नात ए शरीफ़ लिखने वाले आम शायर को नात गो शायर कहते हैं और गाने वाले को नात ख्वां कहते हैं।
Naat यह नात ख्वानी का रिवाज भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में आम है। भाशा अनुसार देखें तो, पश्तो, बंगाली, उर्दू और पंजाबी में नात ख्वानी आम है। hindi naat नात ख्वां तुर्की, फ़ारसी, अरबी, उर्दू, बंगाली, पंजाबी, अंग्रेज़ी, कश्मीरी और सिंधी भाशाओं में आम है।
Me yad e baydaa ke sadqe Ae Kaleem
Par kahaa Un ki Kaf e Paa ka jawaab
Hindi Naat Ka Agaz
Dekh Rizwaan Dasht e Taiba ki bahaar
Meri jannat ka na paaye ga jawaab hain
नात शेरों से बनती हैं। हर शेर में दो पंक्तियां होती हैं। शेर की हर पंक्ति को मिसरा कहते हैं। नात की ख़ास बात यह हैं कि उसका प्रत्येक शेर अपने आप में एक संपूर्ण कविता होता हैं और उसका संबंध नात में आने वाले अगले पिछले अथवा अन्य शेरों से हो, यह ज़रूरी नहीं हैं।
Dekh Rizwaan Dasht e Taiba ki bahaar
Meri jannat ka na paaye ga jawaab
Shor hain lutf o ataa ka shor hain
Maangne waala nahi sunta jawaab
Jurm ki paataash paate ahle jurm
Ulti baato ka na ho seeda jawaab
Par Tumhare lutf aare aagaye
De diya mahshar me bepursish jawaab
Ae Hasan mehw e Jamaal e Rooh e Dost
Ae Nakeerain is se phir lena jawaab
Pooche jaate hain amal me kya kahoo
Tum sikaa jao mere Maula jawaab
Palte hain hum se nikamme beshumaar
Hain kahi Us Aastaane ka jawaab