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चार दिन तो आप मेरे दिल में भी रह लीजिए
पाँचवें दिन फिर मेरे घर में बसेरा कीजिए

राज़े-दिल दुनिया से कहने ख़ुद कहाँ तक जाओगे
बात फैलानी ही हो तो दोस्त से कह दीजिए

आपका-मेरा तआल्लुक अब समझ आया मुझे
कीजिए सब आप और इल्ज़ाम मुझको दीजिए

दोस्त बनके जब तुम्हारे पास ही वो आ गया
खुदको अपने आपसे अब तो अलग कर लीजिए

मय मयस्सर गर नहीं क्यूं मारे-मारे फिर रहे
जिनका दम भरते थे उन आँखों से जाकर पीजिए

-संजय ग्रोवर

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