शेर-ओ-शायरी या सुख़न भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें उर्दू-हिन्दी भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं। Aansu Shayari भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में ऐसा होता आया है कि अगर कोई शेर लोकप्रीय हो जाए तो वह लोक-संस्कृति में एक सूत्रवाक्य की तरह शामिल हो जाता है। उदाहरण के लिए:

वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।

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शेर-ओ-शायरी या सुख़न

Aansu Shayari किसी की प्रशंसा के लिए लिखी गई कविता को क़सीदा कहते हैं; पुराने ज़माने में कवियों का गुज़ारा किसी राजा-महाराजा के दरबार से जुड़े होने से चला करता था और उनके लिए उस राजा की प्रशंसा में क़सीदे लिखना ज़रूरी हुआ करता था।

दिल मिरा फिर दुखा दिया किन ने
सो गया था जगा दिया किन ने

मैं कहाँ और ख़याल-ए-बोसा कहाँ
मुँह से मुँह यूँ भिड़ा दिया किन ने

वो मिरे चाहने को क्या जाने
ये संदेसा सुना दिया किन ने

हम भी कुछ देखते समझते थे
सब यकायक छुपा दिया किन ने

वो बुलाए से भागता था और
‘दर्द’ तुझ तक बुला दिया किन ने

घर के घर ख़ाक हुए जल के नदी सूख गई
फिर भी उन आँखों में झाँका तो समुंदर निकला

फ़र्श ता अर्श कोई नाम-ओ-निशाँ मिल न सका
मैं जिसे ढूँढ रहा था मिरे अंदर निकला