Hindi Naat Sharef Nabi-E-Akram Shafi-E-Aazam

नबी-ए-अकरम,शफी-ए-आज़म,दुखे दिलों का पयाम ले लो
तमाम दुन्याँ के हम सताए खड़े हुए है सलाम ले लो

कदम कदम पर है ख़ौफ़े रहज़न, ज़मीन भी दुश्मन फलक भी दुश्मन
ज़माना हम से हुआ बदज़न तुम्ही मोहब्ब्बत से काम ले लो

शिकस्ता कस्ती है तेज़ धारा नज़र से रु-पोश है किनारा
नहीं है कोई न खुदा हमारा खबर तो आली मुकाम ले लो

Hindi Naat Sharef
Hindi Naat Sharef

अजीब मुश्किल में कारबा है न कोई जादू न पस्बा है
बा-शक्ले रहबर छुपे है रहज़न उठो ज़रा इंतिकाम ले लो

कभी तकाज़ा वफ़ा का हम से कभी मज़ाके ज़फ़ा हम से
तमाम दुन्याँ खफा है हम से खबर तो खैरुल अनाम ले लो

ये कैसी मंज़िल पे आ गए हम न कोई अपना न हम किसी के
तुम अपने दामन में आज आका तमाम अपने गुलाम ले लो

नबी-ए-अकरम, शफी-ए-आज़म, दुखे दिलों का पयाम ले लो
तमाम दुन्याँ के हम सताए खड़ेb हुए है सलाम ले लो

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Fir dil me mere aayi yaad shahe jilani hindi kalam

फिर दिल में मेरे आई याद शाह-ए-जिलानी
फिरने लगी आंखें में वो सुरत-ए-नूरानी

मकसूद-ए-मुरीदाँ हो ऐ मुर्शिद-ए-ला-सानी
तुम क़िबला-ए-दिनी हो तुम काबा-ए-इमानी

हसनैन के सदक़े में अब मेरी ख़बर लीजिए
मुद्दत से हूँ ऐ मौला मैं वक़्फ़-ए-परेशानी

ऐ दस्त-ए-करम ही कुछ खोले तो गिरह खोले
आसानी में मुश्किल है मुश्किल में है आसानी

शाहों से भी अच्छा हूँ क्या जाने क्या क्या हूँ
हाथ आई है क़िस्मत से दर की तिरे दरबानी

सोते हैं पड़े सुख से आज़ाद हैं हर दुख से
बंदों को तिरे मौला ग़म है न परेशानी

‘बेदम’ ही नहीं ऐ जाँ तन्हा तेरा सौदाई
आ’लम तिरा शैदा है दुनिया तिरी दीवानी

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aayi naseem-e-koo-e-mohammad

आई नसीम-ए- कूए मुहम्मद
सल्ल-लल-लाहो आलैहे वस्लम |

खिचने लगा दिल सू-ए-मुहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम |

ऐ सबा क्या याद फरमाया है
आका ने मुझे सुये मोहम्मद |

काबा हमारा कुये मोहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम |

मिद-हते ईमां रु-ए-मोहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम |

तूबा की जानिब तकने वालों
आँखे खोलो होश संभालो |

देखूँ क़द ए‌ दिल जुये मोहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम |

नाम इसी का बाबे करम है।
देखो यही मेहरबे हरम है

देखो ख़म ए अबरू-ए‌ मोहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम

खैरुल बशर खैरुल वरा
सल्ले अला सल्ले अला

शम्स-उद दुहा बदरुद दुजा
सल्ले अला सल्ले अला

हम सब का रुख़ सू-ए काबा,
सू-ए मोहम्मद रू-ए काबा

काबे का काबा कू-ए मोहम्मद
सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम

भीगी भीगी खुशबु लेहकी
बेदम दिल की दुनिया महकी

खुल गए जब गेसुये मोहम्मद
सलल्ला हो अलैही वसल्लम

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Aaj Karna Hai Charaghañ Sar-e Mizgan Mujhko hindi naatiya kalaam

आज करना है चराग़ां सरे मिजगां मुझको
ख़ुशनसीबी से मिला है दरे जानां मुझको

आपकी ज़ात को अल्लाह सलामत रखे
आप जैसा न मिला कोई निगेहबां मुझको

मैं गुनहगार कहां दामन ए सरकार कहां
मिल गया तेरे करम से तेरा दामां मुझको

जिंदगी आपके कदमों पे निछावर कर दूं
आप मिल जाएं अगर ऐ मेरे जानां मुझको

क्या तलब तुझसे करूं इतना नवाज़ा तूने
सर उठाने नहीं देते तेरे एहसां मुझको

आपकी चश्मे इनायत के मैं कुर्बां जाऊं
आईना देखके होता है पशेमां मां मुझको

आज फिर मेरे मुक़द्दर की बर आई क़िस्मत
आज फिर आके मिले हैं मेरे जानां मुझको

और तो कोई तमन्ना ही नहीं है सादिक़
आरज़ू है के मिले जल्वा ए जाना मुझको

आज करना है चराग़ां सरे मिजगां मुझको
ख़ुशनसीबी से मिला है दरे जानां मुझको

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Khushiya manao sarkaar aa gaye

जिंदगी अपनी यू खुशनुमा कीजिए
जिक्रे अहमद हमेशा किया कीजिए

दर्स हमको मिला ये नबी पाक से
दुश्मनों के भी हक में दुआ कीजिए

कामयाबी की कुंजी अगर चाहिए
सरवरे दीन से राब्ता कीजिए

वह सफायत करेंगे यकीनन मगर
आप पाबंदे सुन्नत रहा कीजिए

लज़्ज्ते ज़िक्र का फिर मजा आएगा
पहले दिल को बलाली बना लीजिए

हर बला सर से चलती रहेगी सदा
सानी सजदा खुशी से दिया कीजिए

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Ye bill yaki hussain hai nabi ka noor-e-ain hai

यह कौन ज़ी वक़ार है, बला का शह सवार है
के है हज़ारों कातिलों के सामने डटा हुआ

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

यह कौन हक़-परस्त है, मय-ए रज़ा ए मस्त है
के जिसके सामने कोई बुलंद है न पस्त है
उधर हज़ार घात है, मगर अजीब बात है
के एक से हज़ार का भी हौसला शिकस्त है

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

हुसैन जिसकी सदा ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी अदा ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी सना ला इलाहा इलल्लाह
हुसैन जिसकी दुआ ला इलाहा इलल्लाह

जो दहकती आग के शोलों पे सोया वो हुसैन
जिसने अपने ख़ून से आ़लम को धोया वो हुसैन
जो जवां बेटे की मैय्यत पर न रोया वो हुसैन
जिसने सब कुछ खो के फिर भी कुछ न खोया वो हुसैन

रस्म-ए उश्शाक़ यही है के वफ़ा करते हैं
य़ानी हर हाल में हक़ अपना अदा करते हैं
हौसला हज़रत-ए शब्बीर का अल्लाह अल्लाह
सर जुदा होता है और शुक्र-ए ख़ुदा करते हैं

दिलावरी में फ़र्द है बड़ा ही शेर मर्द है
के जिसके दबदबे से रंग दुश्मनों का ज़र्द है
हबीब ए मुस्तफा है ये मुजाहिद ए ख़ुदा है ये
जभी तो इसके सामने यह फौज गर्द गर्द है

यह बिल यक़ीं हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है
हुसैन है हुसैन है नबी का नूर ए ऐन है

ईमान की तौक़ीर कहा जाता है
क़ुरआन की तफ़्सीर कहा जाता है
बातिल के सामने जो कभी झुक न सकी
उस ज़ात को शब्बीर कहा जाता है

उधर सिपाह-ए शाम है हज़ार इन्तिज़ाम
उधर हैं दुश्मनान-ए दीं इधर फ़क़त इमाम है
मगर अ़जीब शान है ग़जब की आन-बान है
के जिस तरफ़ उठी है तेग़ बस ख़ुदा का नाम है

यह जिसकी एक ज़र्ब से, कमाल ए फ़न-ए ह़र्ब से
कई शकी गिरे हुए तड़प रहे हैं कर्ब से
गजब है तेग़-ए दो सिरा के एक एक वार पर
उठी सदा ए अलअमा ज़बान-ए शर्क़ ओ ग़र्ब से

अ़बा भी तार तार है, तो जिस्म भी फ़गार है
ज़मीन भी तपी हुई, फलक भी शोला बार है
मगर ये मर्द-ए तेग़ज़न, ये सफ़ शिकन, फ़लक फ़िगन
कमाल-ए सब्र ओ तन दिही से मह्व-ए कारज़ार है

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Ya Hussain Ya Hussain

आया न होगा इस तरह हुस्नो-शबाब रेत पर
गुलशन-ए-फ़ातिमा के थे सारे गुलाब रेत पर

जान-ए-बतूल के सिवा कोई नहीं खिला सका
कतरा-ए-आब के बग़ैर इतने गुलाब रेत पर

जितने सवाल इश्क़ ने आले-रसूल से किये
एक के बाद एक दिये सारे जवाब रेत पर

इश्क़ में क्या बचाइये, इश्क़ में क्या लुटाइये
आले-नबी ने लिख दिया सारा निसाब रेत पर

प्यासा हुसैन को कहूं इतना तो बे-अदब नहीं
लमसे लबे हुसैन को तरसा है आब रेत पर

आले-नबी का काम था, आले-नबी ही कर गए
कोई न लिख सका अदीब ऐसी किताब रेत पर

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gaflat me kati mori sari umariya

ग़फ़लत में कटी मोरी सकरी उमरिया
करो मो पे अपनी दया ग़ौस-ए-आज़म

ज़माने में नहीं सुनता कोई फ़रियाद जीलानी
ख़ुदारा आप ही कीजे मेरी इमदाद जीलानी

करो इमदाद ऐ लख्ते-दिले-मुश्क़िल-कुशा-हैदर
गिरा हूँ ग़र्दिशों में, हूँ बड़ा नाशाद जीलानी

फ़साने ग़म के तुम से ना कहूं तो फिर कहूं किस से
मेरी सुन लो मेरी सुन लो मेरी रूदाद जीलानी

मेरी शाम-ए-ख़ज़ाँ सुब्हे-बहारा में बदल जाए
रुखे-पुरनूर दिखला कर करो तुम शाद जीलानी

समंदर में ग़मों के पाएगा ये साहिल-ए-तस्कीन
उजागर देख ले आ कर तेरा बग़दाद जीलानी

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Ye sab tumhara Karam hai Aaka ke baat ab tak bani huyi hai

कोई सलीका है आरज़ू का, न बन्दगी मेरी बन्दगी है
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा के बात अब तक बनी हुई है

अता किया मुझको दर्दे-उल्फ़त, कहां थी ये पुर-ख़ता की क़िस्मत
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल, हुज़ूर की बन्दा परवरी है

इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदा, जो करम मुझ पे मेरे नबी कर दिया
मैं सजाता हूँ सरकार की महफिलें, मुझ को हर ग़म से रब ने बरी कर दिया

ज़िक्रे-सरकार की हैं बड़ी बरकतें, मिल गई राहतें, अज़मतें, रिफ़अतें
कोई सिद्दिक़, फ़ारूक़, उस्मां हुवे और किसीको नबी ने अली कर दिया

तजल्लियों के कफील तुम हो, मुरादे-क़ल्बे ख़लील तुम हो
ख़ुदा की रोशन दलील तुम हो, ये सब तुम्हारी ही रोशनी है

किसी का एहसान क्यूं उठाएं, किसी को हालात क्यूं बताएं
तुम्हीं से मांगेंगे तुम ही दोगे, तुम्हारे ही दर से लो लगी है

अमल की मेरे असास क्या है, बजुज़ नदामत के पास क्या है
रहे सलामत बस आप की निस्बत, मेरा तो बस आसरा यहीं है

जितना दिया सरकार ने मुझ को उतनी मेरी औक़ात नहीं
ये तो करम है उनका वरना मुझ में तो ऐसी बात नहीं

इश्क़े-शहे-बतहा से पेहले मुफ़लिसो-ख़स्ताहाल था मैं
नामे-मुहम्मद के मैं क़ुरबां, अब वो मेरे हालात नहीं

गौर तो कर सरकार की तुझ पर कितनी ख़ास इनायत है
कौसर तू है इनका सनाख्वां ये मामूली बात नहीं

बशीर कहिये, नज़ीर कहिये, इन्हें सिराजे-मुनीर कहिये
जो सर बसर है कलामे-रब्बी, वो मेरे आक़ा की ज़िन्दगी है

यहीं है ख़ालिद असासे-रहमत, यहीं है ख़ालिद बिनाए-अज़मत
नबी का इरफ़ान बन्दग़ी है, नबी का इरफ़ान ज़िन्दगी है

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Ya rab suye madina ban ke jau

या रब सूए मदीना मस्ताना बन के जाऊं
उस शमअे़-दो-जहां का परवाना बन के जाऊं

उनके सिवा किसी की दिल में न आरज़ू हो
दुनियां की हर तलब से बेगाना बन के जाऊं

हर गाम एक सजदा, हर गाम या ह़बीबी
इस शान, इस अदा का मस्ताना बन के जाऊं

पोहंचूं मदीने काश ! मैं इस बेख़ुदी के साथ
रोता फिरूं गली गली दीवानगी के साथ

जूं ही निग़ाह गुम्बदे-ख़ज़रा को चूमले
क़ुर्बान मेरी जान हो वारफ्तगी के साथ

मुझ को बक़ी-ए-पाक में दो गज़ ज़मीं मिले
या रब दुआ है तुझ से मेरी आजिज़ी के साथ

या रब सूए मदीना मस्ताना बन के जाऊं
उस शमए-दो जहां का परवाना बन के जाऊं

बेहज़ाद अपना आलम समझेगा क्या ज़माना
है फ़ेहम का तकाज़ा दीवाना बन के जाऊं

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