ना ताबे मस्ती ना होशे हस्ती के सूक्र नेमत अदा करेगे
खिज़ा मे जब है|ये अपना आलम, बहार आई तो क्या करेगे
हर एक गम को फ़ारोग दे कर| यहा तक आ-रास्ता करेगे
वही जो रहते है,दूर हम से खुद अपनी आ-गोस वा करेगे
जिधर से गुज़रे गे सर फ़रोसना कारनामे सुना करेगे
वो अपने दिल को हज़ार रोके,मेरी मोहब्बत को क्या करेगे
ना सुक्रे गम ज़ेरे लब करेगे,ना शिकबा बर् माला करेगे
जो हम पे गुज़रे गी दिल ही दिल मे कहा करेगे सुना करेगे
तेरे तसब्बुर से हासिल इतना कामाले क़स्बे ज़िया करेगे
जहा कुछ आँसू टपक पढ़ेगे सितारे सजदा किया करेगे
ये ज़हिरी जलबा हाय रंगीन फरेव कब तक दिया करेगे
नज़र की जो कर सके ना तस्कीन वो दिल की तस्कीन क्या करेगे
वाहा भी आहे भरा करेगे, वाहा भी नाले किया करेगे
जिन्हे है तुज़से ही सिर्फ़ निसबत,वो तेरी ज़न्नत को क्या करेगे
नही ह जिनको मज़ले हस्ती ,सिवाए उसके वो क्या करेगे
के जिस ज़मीन के है बसने वाले उसे भी रुसबा किया करेगे
यहा ना दुनिया ना फ़िकरे दुनिया यहा ना उक़्बा ना फ़िकरे उक़्बा
जिन्हे सारे मा-सिबा भी होगा वही ग़मे मा-सिबा करेगे
हम अपनी क्यू तर्ज़े फिकर छोड़े हम अपनी क्यू वजे ख़ास बदले
के इन्क़िलाब्ते नू-बनू तो हुया किए है हुया करेगे
ये सखत तर इस्क के मराहिल ये हर कदम पे हज़ार एयसान
जो बच रहे जुनू के हक़ मे ,जिएगे जब तक दुआ करेगे
खुद अपने ही शोज़े बातनी से ,निकाल एक श्म्म गैर फानी
चीरागे दायरो हरम तो ए दिल ,जला करेगे भुजा करेगे