हाल दिल का तुज़से,दिले आज़ार कहूँ या ना कहूँ
खौफ है मा-नये इज़हार, कहूँ या ना कहूँ
नाम ज़ालिम का जब आता है, बिगड़ जाते हो
आसमान को भी सितम गार कहूँ या ना कहूँ
आख़िर इंसान हू मैं, सबर बा तहमुल कब तक
सैकड़ो सुन के भी दो चार कहूँ या ना कहूँ
हाथ क्यू रखते हो मु पर मेरे मतलब क्या क्या है
बा-इसे रंजिश बा-तकरार कहूँ या ना कहूँ
तुम सुनो या ना सुनो उस से तो कुछ बाइस नही
जो है कहेना मूज़े सो बार कहूँ या ना कहूँ
मुजसे कासिद ने कहा सुन के रबानी-ए-पैगाम
यही तो कहेना है दुस्बार कहूँ या ना कहूँ
कहे चुके गैर तो अफ़साने सब अपने अपने
मुजको क्या हुकुम है सरकार कहूँ या ना कहूँ
फिक़्र है, शोच है, तस्बीस है, क्या क्या कुछ है
दिल से भी इस्क के इसरार कहूँ या ना कहूँ
आप का हाल जो गैरो ने कहाँ है मुजसे
है मेरे कान घुंहेगार कहूँ या ना कहूँ
नही छुपती,नही छुपती,नही छुपती उलफत
सब कहे देते है आसार कहूँ या ना कहूँ
दाग है नाम मेरा वॉर्क तबीयत मेरी
गर्म इस तारहे के आसार कहूँ या ना कहूँ